लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा ने जसवंतसिंह की इच्छा के बावजूद बाड़मेर-जैसलमेर के संसदीय क्षेत्र से टिकट नहीं दिया था। उनकी जगह कर्नल सोनाराम चौधरी को कांग्रेस से भाजपा में शामिल कर टिकट दिया गया। नाराज जसवंतसिंह ने भाजपा छोड़ दी और निर्दलीय चुनाव लड़ा। वे 2014 का लोकसभा चुनाव हारकर दिल्ली लौट गए और 8 अगस्त की रात को दिल्ली में अपने आवास के फर्श पर गिरने के बाद कौमा में चले गए। कोमा में.जाने के बाद वो कभी-कभी आंख खोलते थे लेकिन बोल नहीं पाते थे। जसवंतसिंह के कोमा में जाने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और केन्द्रीय मंत्री सुषमा स्वराज का निधन हुआ लेकिन इस हालात में उनको कोई खबर नहीं रही। उनके भाई घनश्यामसिंह का निधन भी हुआ।
जसवंत सिंह का जन्म 3 जनवरी, 1938 को राजस्थान के बाड़मेर जिले के जसोल गांव में ठाकुर सरदारा सिंह और कुंवर बाईसा के घर हुआ था। जसवंत सिंह की पत्नी का नाम शीतल कंवर है। उनके दो पुत्र हैं। बड़ा बेटा मानवेंद्र सिंह बाड़मेर से पूर्व सांसद रह चुके है। उन्होंने भी 2018 में विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सामने झालरापाटन से चुनाव लड़ा। जसवंतसिंह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में 1998 से 2004 के बीच वित्त, रक्षा और विदेश जैसे अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली। वह 2004 से 2009 तक राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे। यही नहीं। 1998 से 1999 तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे। जसवंत सिंह को उनके कड़े विचारों के लिए भी जाना जाता था।