ऑर्गेनिक फार्मिंग को मिलेगा प्रोत्साहन इस पाठ्यक्रम के शुरू होने से विद्यार्थियों को जैविक खेती, इससे होने वाले फायदे, प्राकृतिक खेती पद्धति की जानकारी दी जाएगी। इससे जैविक खेती को प्रोत्साहन मिलेगा और कृषि में उर्वरकों तथा रसायनों के उपयोग को कम किया जा सकेगा, जो आमजन के स्वास्थ्य की दृष्टि से भी लाभप्रद होगा। विवि इस ऑर्गेनिक फार्मिंक पाठ्यक्रम के लिए खाका तैयार करने में जुट गया है और शैक्षणिक व अशैक्षिक वर्ग के विभिन्न रिक्त पदों को जल्द भरे जाने का निर्णय किया है।
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प्रधानमंत्री की प्राकृतिक खेती की पहल को बढ़ावा देने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने जनवरी-2022 में देश के सभी आईसीएआर संस्थानों और कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की पहल के लिए अधिसूचना जारी की थी। जिसकी अनुपालना में यह पाठ्यक्रम शुरू करने का निर्णय किया गया है।
पूर्ण जैविक कृषि उत्पादक क्षेत्र बन सकता है जिला जिले में 14 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में से 8 लाख से अधिक क्षेत्र में कभी रसायन का उपयोग नहीं किया गया। वहीं 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कभी न कभी नाममात्र के रसायन का प्रयोग किया गया है। ऐसे में जिले के 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सामान्य प्रशिक्षण व प्रमाणीकरण के जरिए जैविक कृषि क्षेत्र घोषित किया जा सकता है। शेष 4 लाख हेक्टेयर में से अधिकांश सिंचित क्षेत्र है, जिसे धीरे-धीरे वैकल्पिक जैविक खादों के प्रयोग से पूर्ण जैविक में बदल सकते है।
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21वीं प्रबंध मण्डल की बैठक में नए सत्र से स्नातकोत्तर स्तर पर ऑर्गेनिक फार्मिंग पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा, यह पाठ्यक्रम शुरू करने वाला जोधपुर पहला विश्वविद्यालय होगा।
कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर