राजस्थान के इतिहास में साफे, पाग-पगडिय़ों का विशेष महत्व रहा है। मंगल पर्व से लेकर युद्ध के मैदान तक अलग-अलग प्रकार की पगड़ी, साफे लोग अपने सिर पर धारण करते थे, इसलिए उसी परंपरा को कायम रखते हुए आज भी स्कूल में बच्चों को साफा बांधने की कला सिखाई जाती है और सोमवार के दिन वीरता के प्रतीक केसरिया बाना विद्यार्थियों की गणवेश में शामिल है।
सबसे अधिक पदक विजेता यूं तो इस स्कूल ने देश और प्रदेश को अनेक क्षेत्रों में प्रतिभाएं दी, लेकिन देश की तरफ से प्राण न्योछावर करने वाले रणबांकुरे भी प्रदेश में सबसे ज्यादा इसी स्कूल से निकले हैं। इनमें परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह, शौर्य चक्र विजेताओं में मेजर मलसिंह, एवीएम चंदन सिंह, नायब सूबेदार लालसिंह खींची, फ्लाइट लेफ्टिनेंट जगमाल सिंह सहित वीर चक्र विजेता रावत सिंह के अलावा कई प्रमुख नाम हैं। इनके अलावा रियासतों के समय वीरता का अदम्य परिचय देने वालों में विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित गोविंद सिंह जैसे रणबांकुरे भी है। सैन्य सेवाओं और बीएसएफ की बात करें तो करीब 71 अधिकारी यहां से देश सेवा में गए।