दरअसल, फर्नीचर बनाने वाला 45 वर्षीय भंवरूराम 20 साल पहले कमाने के लिए अपने घर से गुजरात के सूरत शहर गया था। वहां पर भंवरू की तबियत ख़राब रहने लगी। इसके बाद भंवरू वापस अपने गांव लौट आया।
यहां आने के बाद मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं रहने की वजह से वह पागलों जैसी हरकतें करने लगा तो परिवार ने घर में बांधकर रखना शुरू कर दिया। इसके बाद भंवरू की दोनों बेटियां दुर्गा व नैनी भी पिता की हालत देखकर मानसिक तौर पर परेशान रहने लगी। दुर्गा की शादी की हुई थी और 5 साल पूर्व ख़राब मानसिक स्थति के चलते ससुराल वालों ने भी उसे छोड़ दिया। वहीं छोटी बेटी नैनी 9 वीं कक्षा में पढ़ती थी।
वह भी तीन साल पूर्व मानसिक बीमारी से पीड़ित हो गई। अब भंवरू की पत्नी मन्नूदेवी तीनों को घर पर खेजड़ी के बांधकर स्कूल में पोषाहार बनाने जाती थी। दो तीन दिन पूर्व पड़ोसियों ने भंवरू व उनकी बेटियों की हालत का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया शेयर किया तो मामला जनप्रतिनिधियों तक पहुंचा और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने अधिकारियों को भेज कर अस्पताल में भर्ती करवाया। वहीं क्षेत्रीय विधायक भैराराम सियोल ने इनकी सुध लेते हुए भंवरू व बेटियों के इलाज की व्यवस्था कराई और अस्पताल में भर्ती कराया।
बीएड की डिग्री धारी हैं भंवरु
भंवरू बीएड डिग्रीधारी हैं। इसके परिवार में कोई भंवरू के सिवा कोई पढ़ा-लिखा नहीं है। वह माना हुआ फर्नीचर का कारीगर होने के कारण सूरत में फर्नीचर की ठेकेदारी का काम शुरू किया था, लेकिन क़स्मित ने भंवरू का जीवन बेड़ियों के हवाले कर दिया।
लोग आए हैं मदद के लिए आगे
विभाग की उपनिदेशक मनमीत कौर सोलंकी ने बताया- परिवार को अस्पताल भिजवाने के निर्देश मिले थे। इसके साथ ही तुरंत प्रभाव से 2.50 लाख रुपए की सहायता राशि दी गई है। गुरुवार को यहां पहुंचकर परिवार को राशन भी उपलब्ध करवाया गया है। ओसियां विधायक सियोल ने संज्ञान लेते हुए सोशल मीडिया के जरिए सामाजिक संगठनों से भी मदद करने की अपील की है।