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जोधपुर

Rajasthan News : बाल विवाह के ‘साइड इफेक्ट्स’, रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला ये खुलासा

Child Marriage : आखातीज आज है। बाल विवाह पर ICSSR और JNVU के मनोविज्ञान विभाग के पोस्ट डॉक्टरल रिसर्च में हुआ बड़ा खुलासा। इस शोध में बताया गया कि बाल विवाह में फंसे बच्चे डिप्रेशन व एंजाइटी के शिकार हो जाते हैं। रिपोर्ट बताएगी कुप्रथा बाल विवाह का काला चेहरा।

जोधपुरMay 10, 2024 / 01:53 pm

Sanjay Kumar Srivastava

Akha Teej Today Child Marriage Side Effects Research Reveals this Shocking Thing

बाल विवाह पर आईसीएसएसआर और जेएनवीयू के मनोविज्ञान विभाग के पोस्ट डॉक्टरल रिसर्च में हुआ बड़ा खुलासा।

Child Marriage : अक्षय तृतीया आज है। हर साल अक्षय तृतीया पर राजस्थान में कई जगह बाल विवाह होते हैं। हाल ही बाल विवाह की बेड़ियों में जकड़े बच्चों पर एक शोध में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। ऐसे बच्चों में डिप्रेशन, एंजाइटी और असुरक्षा की भावना होती है। इससे समाज में उनका तालमेल बिगड़ जाता है। कई बार यह स्थिति मनोरोग और आत्महत्या की सोच तक ले जाती है। भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) के पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च में जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग की ओर से किए गए शोध में यह खुलासा हुआ है। यह शोध फैलो व वर्ल्ड टॉन टेन एक्टिविस्ट, बीबीसी हिन्दी की 100 प्रेरणादायी महिलाओं की सूची में शामिल डॉ.कृति भारती ने किया। डॉ. भारती ने देश का पहला बाल विवाह निरस्त करवाया था और अब तक 51 बाल विवाह निरस्त करवा चुकी हैं। शोध के लिए राजस्थान के विभिन्न हिस्सों से 100 बालकों और 100 बालिकाओं को चुना गया। बाल विवाह पर यह विश्व का पहला शोध है।

बाल विवाह में जकड़ी बालिकाओं की स्थिति

बाल विवाह पीडित बालिकाओं में बाल विवाह से मुक्त होे जाने वाली बालिकाओं के मुकाबले 12.88 प्रतिशत अधिक एंजाइटी, 25.092 प्रतिशत सामाजिक समायोजन की समस्या, 28.98 प्रतिशत असुरक्षा की भावना और 6.63 प्रतिशत डिप्रेशन अधिक होका है।

बालक भी उतने ही पीड़ित

रिसर्च के दूसरे भाग में बाल विवाह पीडित बालकों व बाल विवाह निरस्त करवाकर मुक्त हुए बालकों के बीच विश्लेषण किया। पीडित बालकों में 23.15 प्रतिशत अधिक एंजाइटी, 31.63 प्रतिशत सामाजिक तालमेल की समस्या, 31.02 प्रतिशत असुरक्षा की भावना और 12.53 प्रतिशत तनाव का स्तर पाया गया।

देश में बाल विवाह की स्थिति

  • 22.6 करोड़ से ज्यादा बालिका वधू हैं भारत में (यूनिसेफ)
  • 10.2 करोड़ बालिकाओं का बाल विवाह 15 साल की उम्र से पहले
  • 25.4 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पहले (नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे)
  • 15.1 प्रतिशत लड़कियों के बाल विवाह शहरों में
  • 28.3 प्रतिशत लड़कियों के बाल विवाह ग्रामीण क्षेत्रों में
  • 3.7 प्रतिशत लडकियां 15 से 19 साल की उम्र बनती है मां।
सारथी ट्रस्ट मैनेजिंग ट्रस्टी पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डॉ. कृति भारती

बाल विवाह से मुक्त यानी नई जिंदगी मिली

सारथी ट्रस्ट मैनेजिंग ट्रस्टी पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डॉ. कृति भारती ने कहा, बाल विवाह जानलेवा बीमारी है। इसकी एकमात्र वेक्सीन बाल विवाह निरस्तीकरण है। बाल विवाह बंधन में बंधे बच्चों के बाल अधिकारों का शोषण होता है, जिससे वे मानसिक बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं। बाल विवाह से मुक्त होने पर बच्चों को जैसे नई जिंदगी मिलती है।

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