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झुंझुनू

World diabetes day : सांस में तकलीफ के बाद बेहोश होकर अस्पताल पहुंच रहे बच्चे

चिकित्सकों के अनुसार शरीर जब पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता तो कीटोन की मात्रा बढ़ जाती है। समय पर जांच नहीं होने के कारण घर वालों को इसका पता नहीं रहता। ऐसे में बच्चे की सांस तेज चलने लगती है और वह बेहोश हो जाता है।

झुंझुनूNov 14, 2024 / 01:27 pm

Jitendra

World diabetes day
केस-01 : मालीगांव निवासी 11 साल के दीपांशु को बुखार, बार-बार पेशाब, उल्टी-दस्त की शिकायत थी। घर पर अचानक बेहोश होने पर परिजन उसे बगड़ अस्पताल लेकर पहुंचे, वहां से चिकित्सकों ने झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल भेज दिया। यहां आने पर जांच की गई तो पता चला कि बच्चे को डायबिटीज है।
केस-02 : सूरजगढ़ निवासी 14 साल के अजय को खांसी, झुकाम, बुखार की शिकायत थी। बेहोश होने पर स्थानीय अस्पताल में उपचार के बाद बच्चे को झुंझुनूं के लिए रेफर कर दिया गया। झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल में जांच की गई तो बच्चा डायबिटीज का मरीज निकला।
सांस लेने में तकलीफ होने के बाद बेहोश हुए बच्चे को माता-पिता कोई अन्य कारण मानकर अस्पताल लेकर आते हैं लेकिन जांच के बाद पता चलता है कि बच्चा डायबिटीज का शिकार है। प्रदेश में ऐसे मामलों में बढ़ोतरी हुई है। चिकित्सकों के अनुसार पहले महीने या पंद्रह दिन में एक बच्चा ऐसा आता था लेकिन अब सप्ताह में 1-2 बच्चे इस तरह के आ रहे हैं। प्रदेश में यह स्थिति चिंताजनक है लेकिन डायबिटीज को लेकर आई जागरूकता के कारण बच्चों को समय पर इलाज मिल पा रहा है और उनकी जान बच पा रही है।

बड़ों में तेजी से बढ़ रहे मामले

डायबिटीज के मामले बड़ों में भी तेजी से बढ़ रहे हैं। झुंझुनूं में पिछले साल कुल 2260 मरीज आए, इनमें 642 नए मरीज थे जबकि इस साल अभी तक 3689 मरीज आ चुके हैं और इनमें नए 762 मरीज हैं। यह संख्या 30 वर्ष से ऊपर की आयु वाले मरीजों की है। चिकित्सकों का कहना है कि अगर सरकारी स्तर पर 30 से कम आयु वाले बच्चों की भी स्क्रीनिंग होने लग जाए तो समय पर बच्चों में डायबिटीज की जानकारी मिल जाएगी और उनका इलाज शुरू हो जाएगा। फिलहाल 30 वर्ष से ऊपर की आयु वाले मरीजों की ही स्क्रीनिंग की जा रही है।

क्यों होता है ऐसा

चिकित्सकों के अनुसार शरीर जब पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता तो कीटोन की मात्रा बढ़ जाती है। समय पर जांच नहीं होने के कारण घर वालों को इसका पता नहीं रहता। ऐसे में बच्चे की सांस तेज चलने लगती है और वह बेहोश हो जाता है।

चिकित्सक की सलाह

राजकीय भगवानदास खेतान अस्पताल के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जितेन्द्र भांबू के अनुसार परिवार में अगर कोई पहले से डायबिटीज का मरीज है, बच्चा रात को बार-बार पेशाब के लिए उठता हो, चोट लगने पर घाव देरी से भरता हो और सामान्य बीमारी ठीक होने में लम्बा समय ले रही है तो जांच करवाएं। इस तरह के मामले वाले बच्चों में सांस का तेज चलना और बेहोश होने के चांस रहते हैं।

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