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झुंझुनू

गर्मी में सेहत के लिए रामबाण बाजरे की राबड़ी, बनाना आसान

हांडी में बाजरे का आटा छाछ में घोलकर धीमी आंच पर पकाते हैं। इसके अंदर बाजरा के कुछ दाने डाल देते हैं तो कुछ लोग चने की दाल भी डाल देते हैं। लंबे समय तक आंच पर पकने के बाद इसे आग से उतारकर रख देते हैं।

झुंझुनूJun 13, 2023 / 06:19 pm

युगलेश कुमार शर्मा

गर्मी में सेहत के लिए रामबाण बाजरे की राबड़ी, बनाना आसान

गर्मी में सेहत के लिए रामबाण बाजरे की राबड़ी, बनाना आसान

अशोक सोनी.

बिसाऊ. ग्रामीण क्षेत्र में राबड़ी एक बेहतर टॉनिक एवं गर्मियों का पेय पदार्थ बनकर उभर रहा है। राजस्थान का तो यह प्राचीन पेय पदार्थ है। कई लोग जहां कुल्फी, आइसक्रीम और ठंडे पीकर अपने शरीर की गर्मी को दूर करते हैं और गर्मी से बचते हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्र में लोग राबड़ी का जमकर उपयोग करते हैं। राबड़ी उन्हें गर्मी से तो बचाती ही है, साथ में एक स्वास्थ्य वर्धक टॉनिक का काम करती है। रात के समय बनाकर रखी हुई राबड़ी को किसान हो या ग्रामीण दिनभर उपभोग करते हैं और भीषण गर्मी में राहत महसूस करते हैं।

शरीर को देती शीतलता

बाजरे की राबड़ी गर्मियों का शीतल पेय बन रही है। बिसाऊ क्षेत्र में तो इसे अधिक पसंद किया जा रहा है। बुजुर्ग तो इसे और अधिक चाव से खाते हैं। बुजुर्गों का कहना है कि यह शरीर में शीतलता पहुंचाती है। यह बाजरे के आटे से तैयार हो जाती है और सस्ती भी पड़ती है।

रोटी के साथ राबड़ी

गांव भामु की ढाणी के बीरबल सिंह को कहना है कि बुजुर्ग एक मटकी में छाछ, बाजरे का आटा, प्याज आदि के मेल से राबड़ी तैयार करके रखते थे और सुबह होने पर रोटी के साथ छाछ में बनी राबड़ी का ही उपभोग करते थे। घर में अगर कोई मेहमान आता था तो उसे भी रोटी और राबड़ी ही दी जाती थी। बाजरे की रोटी और राबड़ी का अच्छा संगम होता था जो सेहत की दृष्टि से भी लाभप्रद होती है।

अब होने लगी बिक्री भी

ग्रामीण परिवेश में तो राबड़ी मुफ्त में मिलती है। लेकिन अब इसको बनाने में प्रयोग होने वाली सामग्री महंगी होती जा रही है। ऐसे में आजकल डेयरी बूथ पर राबड़ी दस से बीस रुपए प्रति गिलास बिक भी रही है।

राबड़ी बनाने का सामान
राबड़ी के निर्माण में बाजरे की घाट, नमक, छाछ, प्याज आदि की जरूरत होती है। राबड़ी बनाने के लिए ज्यादा बेहतर बाजरे का आटा है। किंतु आजकल जौ व गेंहु के आटे से भी लोग राबड़ी बनाने लगे हैं। क्योंकि जौ का आटा बहुत कम मिलता है। गांव की धापा ताई के अनुसार राबड़ी बनाने के लिए हांडी (मिट्टी से बना छोटी मटकी) की जरूरत होती है। हांडी में बाजरे का आटा छाछ में घोलकर धीमी आंच पर पकाते हैं। इसके अंदर बाजरा के कुछ दाने डाल देते हैं तो कुछ लोग चने की दाल भी डाल देते हैं। लंबे समय तक आंच पर पकने के बाद इसे आग से उतारकर रख देते हैं।
क्या कहते हैं चिकित्सक

गर्मियों की सबकी परेशानियों का एक ही उपाय है बाजरे के आटे की छाछ राबड़ी, यह पेट को एकदम ठंडा रखती है, यह गर्मियों में शरीर के अंदर की ताकत को बनाए रखती है, इससे पेट में गैस की समस्या नहीं होती है। सही मायनों में यह गर्मियों का अमृत है। स्वस्थ रहने के लिए गर्मियों में इसे जरूर लेना चाहिए।
-डॉ. वेदप्रकाश शर्मा

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