इस मौके पर जिला कलक्टर ने कहा कि इस वर्ष जिला प्रशासन द्वारा चन्द्रभागा मेले की शोभा, आभा एवं इसके आकर्षण को दुगुना करने का भरसक प्रयास किया गया है। पहले के वर्षों से अलग इस वर्ष कई चीजों में परिवर्तन करते हुए भ्रमण के लिए आने वाले लोगों एवं पर्यटकों की सुविधा का बेहतर ध्यान रखा गया है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष मेले के बाजारों की चौड़ाई बढ़ाई गई है, ताकि अधिक भीड़ होने पर आमजन एवं व्यापारियों को असुविधा न हो। इसी तरह दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया में भी परिवर्तन करते हुए सभी व्यापारियों को पारदर्शिता के साथ दुकानें आवंटित की गई हैं। कलक्टर ने कहा कि यह ऐतिहासिक मेले हमारे देश की सांस्कृतिक विरासत को जिंदा रखते हैं। यह हमारी संस्कृति की पहचान और आर्थिक गतिविधियों के केंद्र होते हैं।
अतिरिक्त जिला कलक्टर सत्यनारायण आमेटा, जिला परिषद मुख्य कार्यकारी अधिकारी शंभू दयाल मीणा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चिरंजी लाल मीणा, नगर पालिका अधिशासी अधिकारी हेमेंद्र सांखला, पशुपालन संयुक्त निदेशक एवं मेला अधिकारी डॉ1 टी .एबंसोड ने भी संबोधित किया।
- मेला अधिकारी ने बताया कि इस मेले का धार्मिक एवं व्यापारिक महत्व है। कार्तिक स्नान के साथ यह मेला व्यापारिक दृष्टि से शुरू होता है। पुष्कर के बाद राज्य का यह दूसरा बड़ा पशु मेला है। उन्होंने बताया कि 21 नवंबर से 14 जनवरी तक मेले की व्यवस्था नगर पालिका के जिम्मे रहेगी। उन्होंने बताया कि पशुपालन विभाग को इस वर्ष मेले से अब तक 1 करोड़ 6 लाख 15 हजार 350 रुपए की अब तक की सर्वाधिक आय हुई है।