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झालावाड़

मान्यता तो मिली लेकिन बिना संसाधन के कैसे बनेंगे वकील

झालावाड़. बार कॉसिंल ने लॉ कॉलेजों में प्रवेश की अनुमति भले ही दे दी है, लेकिन अदालतों के लिए हजारों वकील तैयार करने वाले राज्य के लॉ कॉलेज संसाधनों में पीछे हैं। इन कॉलेज में विद्यार्थियों के लिए कंप्यूटर और इंग्लिश स्पोकन लैब नहीं हैं जबकि निचली अदालतों से शीर्ष सुप्रीम कोर्ट तक अंग्रेजी और कंप्यूटर […]

झालावाड़Nov 14, 2024 / 11:47 am

harisingh gurjar

झालावाड़. बार कॉसिंल ने लॉ कॉलेजों में प्रवेश की अनुमति भले ही दे दी है, लेकिन अदालतों के लिए हजारों वकील तैयार करने वाले राज्य के लॉ कॉलेज संसाधनों में पीछे हैं। इन कॉलेज में विद्यार्थियों के लिए कंप्यूटर और इंग्लिश स्पोकन लैब नहीं हैं जबकि निचली अदालतों से शीर्ष सुप्रीम कोर्ट तक अंग्रेजी और कंप्यूटर की नॉलेज बेहद आवश्यक है। झालावाड़ लॉ कॉलेज सहित 2005-06 में प्रदेशभर में 15 लॉ कॉलेज स्थापित हुए। इन कॉलेज में तीन वर्षीय एलएलबी के अलावा दो वर्षीय एलएलएम सहित डिप्लोमा इन लेबर लॉ और डिप्लोमा इन क्रिमिनोलॉजी पाठ्यक्रम संचालित हैं। लेकिन पर्याप्त सुविधाएं नहीं होने से छात्र इनमें प्रवेश लेने के बाद अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
झालावाड़ लॉ कॉलेज के तो इतने बुरे हाल हैं कि यहां न तो पूरा स्टाफ है और ना ही पर्याप्त फर्नीचर है। भवन भी मरम्मत मांग रहा है। जगह-जगह से बदहाल होने लगा है। कॉलेज में 8 में से तीन ही फैकल्टी है। ऐसे में विद्यार्थियों की कक्षाएं भी बराबर नहीं लग पाती है। इन कमियों की वजह से अभी तक प्रथम वर्ष की मान्यता भी नहीं मिल पाई है। ऐसे में अभी तक आधा सत्र निकलने को आया, लेकिन प्रथम वर्ष में प्रवेश भी शुरू नहीं हो पाए है।
नहीं है लाइब्रेरी

कॉलेज में भवन तो बना दिया गया है। लेकिन यहां सिर्फ कमरे ही है। लाइब्रेरी की सुविधा नहीं है। विद्यार्थियों के लिए कंप्यूटर लेब, खेलकूद जैसे संसाधन भी नहीं है। जबकि बार कौंसिल ऑफ इंडिया के नियमानुसार कंप्यूटर लेब,अंग्रेजी, ङ्क्षहदी भाषा शिक्षण और अन्य सुविधाएं होनी चाहिए।
अंग्रेजी का ज्ञान जरूरी

सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की ऑफलाइन और ऑनलाइन सुनवाई होती हैं। याचिकाएं और फैसले अंग्रेजी में लिखे-पढ़े जाते हैं। अदालतों में जज और कई नामचीन वकील अंग्रेजी में संवाद करते हैं। याचिकाओं पर बहस भी अंग्रेजी भाषा में होती है।
वकीलों को सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के फैसलों को पढऩे, अंतरराट्रीय राष्ट्रीय स्तर के न्यायिक मुद्दों को समझने के लिहाज से अंग्रेजी भाषा कौशल जरूरी है। लेकिन कॉलेज में इंग्लिश स्पोकन लैब नहीं है। ऐसे में विद्यार्थियों को अंग्रेजी का ज्ञान नहीं मिल पाता है।
यूजीसी में नहीं पंजीकृत

झालावाड़ लॉ कॉलेज सहित राज्य के अन्य लॉ कॉलेज यूजीसी के नियम में पंजीकृत नहीं है। नियमानुसार यूजीसी के नियम 12 (बी) और 2 एफ के तहत सभी कॉलेज और विश्वविद्यालयों का पंजीयन होता है। इसके अलावा शैक्षिक कार्यों, शैक्षिक कॉन्फे्रंस, कार्यशाला, भवन निर्माण आदि के लिए बजट मिलता है।
कम्प्यूटर ही नहीं

देश के कई सरकारी और निजी विधि कॉलेज व लॉ यूनिवर्सटी में कंप्यूटर लेब हैं। इनमें एलएलबी, एलएलएम और डिप्लोमा कोर्स में अध्ययनरत विद्यार्थी कंप्यूटर पर कामकाज करने के अलावा ऑनलाइन प्रोजेक्ट तैयार करते हैं। ऑनलाइन लेक्चर होते हैं। न्यायिक क्षेत्र में होने वाली गतिविधियों का त्वरित अध्ययन और समूह चर्चा होती है। लेकिन झालावाड़ सहित राज्य के किसी भी सरकारी लॉ कॉलेज में कंप्यूटर नॉलेज देने की सुविधा नहीं है।
ये है प्रमुख समस्याएं

झालावाड़ लॉ कॉलेज में 8 की जगह मात्र 3 ही संकाय सदस्य है। दो को प्रतिनियुक्ति पर बाहर भेज दिया गया है। जबकि प्रदेश के अलवर सहित कई कॉलेज में स्वीकृत पदों के मुकाबले ज्यादा लगे हुए है। 200 विद्यार्थी के हिसाब से फर्नीचर होना चाहिए, लेकिन मात्र 80 विद्यार्थियों का ही फर्नीचर है। वहीं कॉलेज का मुख्य द्वार पर रोड पूरी तरह से खराब हो चुका है। पूरा भवन मरम्मत मांग रहा है। मूर्ट कोर्ट नहीं है। लाईब्रेरी नहीं है।
बजट आने के बाद होगी मरम्मत

अलग से अंग्रेजी नहीं पढ़ाई जाती है। लॉ के साथ जो सैलेबस में वहीं पढ़ाया जाता है। कंप्यूटर कक्षाएं तो नहीं चलती है। मरम्मत व फर्नीचर के लिए प्रस्ताव बनाकर भेज रखे हैं। बजट आने के बाद मरम्मत करवाई जाएगी। अभी प्रवेश तो शुरू हो गए है।
राकेश मीणा, प्रिन्सीपल, लॉ कॉलेज झालावाड़

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