scriptहादसे के बाद भी सबक नहीं, जनाना अस्पताल में फायर सिस्टम ही नहीं | - एक साल पहले लग चुकी है आग | Patrika News
झालावाड़

हादसे के बाद भी सबक नहीं, जनाना अस्पताल में फायर सिस्टम ही नहीं

 झालावाड़। जिले के सबसे बड़े हीरा कुंवर बा जनाना अस्पताल के एनआईसीयू में पिछले साल आग लग चुकी है, इस हादसे के बाद भी अस्पताल प्रशासन ने सबक नहीं लिया। झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कालेज के शिशु वार्ड में शुक्रवार रात आगजनी की घटना के बाद पत्रिका टीम ने शनिवार को झालावाड़ मेडिकल कालेज […]

झालावाड़Nov 17, 2024 / 09:30 pm

harisingh gurjar



 झालावाड़। जिले के सबसे बड़े हीरा कुंवर बा जनाना अस्पताल के एनआईसीयू में पिछले साल आग लग चुकी है, इस हादसे के बाद भी अस्पताल प्रशासन ने सबक नहीं लिया। झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कालेज के शिशु वार्ड में शुक्रवार रात आगजनी की घटना के बाद पत्रिका टीम ने शनिवार को झालावाड़ मेडिकल कालेज से जुड़े एसआरजी और जनाना अस्पताल की व्यवस्थाओं का जायजा लिया तो दोनों ही अस्पतालों में आग बुझाने का सिस्टम बदहाल मिला। यहां संसाधन अपर्याप्त है।
अस्पताल में कहने मात्र के लिए आग बुझाने का फ ायर फाइटिंग सिस्टम लगा है, लेकिन अनदेखी के चलते इसके उपकरण खराब हो गए। फायर हाउस में कचरे का ढेर लगा हुआ है। कई जगह फायरवॉल में गंदा पानी रीस रहा है। उपकरण जंग लगकर सड़ चुके हैं। पाइप खराब हो चुके हैं। इनकी लंबे समय से मरम्मत नहीं हुई है। अगर कभी शॉर्ट सर्किट से आग लग जाएं तो अस्पताल के चौथे माले पर पानी पहुंचाने की कोई व्यवस्था नहीं है। जिला अस्पताल रोजाना करीब 3 हजार मरीज हैं। दोनों अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीज भी भर्ती रहते हैं।

यहां एक जगह फायर हाइड्रेंट
राजकीय हीरा कुंवर बा जनाना चिकित्सालय में आग बुझाने का फ ायर फाइटिंग सिस्टम ही नहीं है। यहां सिर्फ तीसरी मंजिल पर ही फ ायर हाईड्रेंट सिस्टम है। शेष जगह कहीं भी नहीं है। पीआईसीयू में फायर अलार्म लगा हुआ है। अन्य जगह नहीं है। यहां शिशु वार्ड में भी फआग बुझाने के उपकरण नजर नहीं आए। एनआईसीयू में एक अग्निशमन यंत्र जरूर नजर आया। एनआईसीयू में शनिवार को 35 बच्चे भर्ती थे।
एसआरजी में पंप बंद.
एसआरजी अस्पताल में आईपीडी ब्लॉक में लगा हुआ फ ायर हाईड्रेंट एवं स्प्रिंगलर सिस्टम पूरी तरह खराब है। यहां ओपीडी ब्लॉक में फ ायर हॉईडेंट ही नहीं है। फ ायर वाटर पंप तीन है। इनमें से दो बंद पड़े हुए है। ऐसे में अगर कहीं आग लग जाएं तो पूरे अस्पताल में प्रेशर से पानी पहुंचाना मुश्किल है। जनरेटर कक्ष, ऑक्सीजन प्लांट, चिलर एसी प्लांट में फायर अलार्म नहीं दिखे। जहां लगे हुए है, वे खराब पड़े है। कई जगह आग बुझाने के यंत्र ऐसी जगह रखे है, जहां आसानी से पहुंचा ही नहीं जा सकता।
नहीं मान रहे निर्देश
गृह मंत्रालय द्वारा चिकित्सा संस्थानों के लिए विशेष दिशा निर्देश जारी किए है। इसमें शॉट सर्किट और अन्य तरह की आग से बचाव के लिए चिकित्सा संस्थानों में पुख्ता व्यवस्थाएं करने लिए कहा गया है। 50 से लेकर 100 बेड तक के संस्थानों में फायर सिस्टम होना जरुरी है, जबकि जनाना अस्पताल में 100 से अधिक बेड हैं।

दो साल से प्रस्ताव ही भेज रहे.

 एसआरजी अस्पताल में लंबे समय से खराब पड़े फ ायर फ ाइटिंग सिस्टम को दुरस्त करने के लिए मेडिकल कॉलेज स्तर से प्रस्ताव बनाकर राजमेस को भेज रखें है, लेकिन अभी तक इन प्रस्तावों पर अमल नहीं हुआ।
 बड़ा हादसा टल गया था
 जनाना अस्पताल में पिछले साल तीसरी मंजिल पर स्थित एनआईसीयू वार्ड में वेंटिलेटर के वार्मर में अचानक आग लग गई थी। इससे वार्ड में चारों तरफ धुआं भर गया था। आग देखकर वार्ड में अफरा तफरी मच गई थी।गनीमत रही कि वहां मौजूद स्टाफ ने सर्तकता दिखाते हुए पलंग के गद्दे तुरंत हटा दिए थे, इससे बड़ा हादसा टल गया था।

 ” जनाना अस्पताल में में फ ायर फाइटिंग सिस्टम के लिए प्रस्ताव बनाकर भेज रखा हैं। कुछ जगह फ ायर एस्टींग्यूसर लगे हुए है। यदि कम है तो पता करवाकर और लगवा देंगे।
डॉ.अशोक शर्मा, अधीक्षक एसआरजी चिकित्सालय झालावाड़

Hindi News / Jhalawar / हादसे के बाद भी सबक नहीं, जनाना अस्पताल में फायर सिस्टम ही नहीं

ट्रेंडिंग वीडियो