झालावाड़.प्रदेश की मंडियों में समीपवर्ती राज्य मध्यप्रदेश से अधिक मंडी शुल्क होने तथा किसान कल्याण कोष शुल्क लगाने के कारण मंडियों का कारोबार प्रभावित हो रहा है। इसके चलते जिले की एक दर्जन मण्डियों सहित प्रदेश की 247 मंडियों के कारोबार पर भी असर पड़ रहा है। इससे प्रदेश का राजस्व भी प्रभावित हो रहा है।
मामला सिर्फ 0.40 प्रतिशत पैसे के फेर का है। इस अंतर से सरकार,व्यापारियों, मंडियों को झटका लग रहा है। मध्यप्रदेश में मंडी शुल्क 1.2 प्रतिशत है तो राजस्थान में यह 1.6 प्रतिशत लिया जा रहा है। इसके अलावा किसान कल्याण कोष शुल्क भी गले की फांस बना हुआ है। इसे कोरोनाकाल में शुरू किया गया था। कोरोना तो चला गया पर यह अब तक लिया जा रहा है। मंडी शुल्क कारोबार कर रहा प्रभावित- प्रदेश की कृषि उपज मंडियों में निकटवर्ती मध्यप्रदेश की तुलना में अधिक मंडी शुल्क वसूला जाता है। कोरोनाकाल में लगाया गया कृषक कल्याण कोष शुल्क भी व्यापार पर भारी पड़ रहा है। साथ ही राजस्थान की मंडीयों में कृषक कल्याण कोष के नाम पर 50 पैसे वसूल किए जाते हैं। जबकि, यह मध्यप्रदेश में नहीं लिया जा रहा है। लेबर चार्ज भी अन्य प्रदेश की अपेक्षा करीब 30 फीसदी अधिक होने से कारोबार को सीधे प्रभावित कर रहा है। ऐसे में भावों में फर्क होने से जिले के किसान अपनी फसल बेचने के लिए सीधे मध्यप्रदेश के मंदसौर, नीमच व अन्य मंडियों में बेचने चले जाते हैं। इससे राजस्व का नुकसान राजस्थान सरकार को हो रहा है।