एनिकट बनने के बाद चारों गांवों के किसानों की जमीन फ व्वारा पद्धति से सिंचित होगी। एनिकट से 485 हैक्टेयर जमीन तक पंपहाउस के माध्यम से पानी पहुंचाया जाएगा। इसके लिए जमीन में भूमिगत पाइप लाइन बिछाई जाएगी और पूरा नेटवर्क बनाया जाएगा। जिले के परवन बांध की तर्ज पर एनिकट से सिंचाई की जाएगी। इसमें भी पाइप के जरिए पानी डिग्गी पम्प हाउस पहुंचेगा। यहां से क्षेत्रवार करीब 100 -100 हैक्टेयर भूमि में फव्वारा सिंचाई पद्धति से खेतों तक पानी पहुँचेगा। इसके लिए छोटे स्तर पर क्षेत्रवार बने जल उपभोक्ता संगम से पाइप लाइन के जरिए प्रेशराइज्ड फव्वारा पद्धति काम में ली जाएगी।
यह होगा फायदा
बकानी क्षेत्र के चार गांवों के किसान साल में तीन-चार फ सल ले सकेंगे। एनिकट बनने से क्षेत्र का जल स्तर बढ़ेगा। साथ ही कालीसिंध नदी में बेकार बहकर जाने वाला बारिश का पानी सिंचाई के लिए काम आ सकेगा। वर्ष पर्यन्त एनिकट में पानी रहने से किसानों की आमदनी में भी इजाफा होगा। जो किसान रबी सीजन में सरसों की पैदावार लेते है, वे भी अब लहसुन-प्याज की बुवाई कर सकेंगे।
” गांव के निकट मिनी एनिकट बनेगा तो इससे गांवों के कुओं व ट्यूबवैल का जलस्तर स्वत: बढ़ जाएगा। इससे जिन किसानों के पानी की कमी रहती है, उन्हें इससे निजात मिलेगी। लेकिन बजट घोषणा के बाद काम समय पर पूरा हो तो किसानों को राहत मिले।-गोविन्द पाटीदार, बकानी खेड़ा।