झालावाड़ जिले में कुल 143 खदानें हैं। जिनमें से कई लोगों ने पर्यावरण स्वीकृति नहीं ली। ऐसे में अनुमति नहीं मिलने से झालावाड़ जिले की खदानों में काम कर रहे करीब 10 हजार से अधिक श्रमिक बेरोजगार हो जाएंगे।
पोर्टल पर अपलोड करना होगा फॉर्म 2- पांच हैक्टेयर तक के अप्रधान खनिज के ऐसे सभी खनन पट्टेधारियों या क्वारी लाइसेंस धारकों (पीपी) डीया में दिए निर्णय से ईसी जारी की गई। इनकी ईसी की पत्रावली डीया(जिला स्तरीय समिति) ने पोर्टल पर अपलोड कर सीया(राज्य स्तरीय समिति) की ओर से मान्य किया जा कर पट्टेधारियों या क्वारी लाइसेंसधारकों को अवगत कराया जा चुका है। अब एनजीटी के 8 अगस्त के आदेश की पालना में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 14 अक्टूूबर को एमओ जारी किया। इसमें स्पष्ट किया कि जिनको 15 जनवरी 2016 से 11 दिसंबर 2018 मध्य डीया ने ईसी का सीया के माध्यम से पुनर्मूल्यांकन 7 नवंबर तक किया जाना अनिवार्य है। यदि कोई भी खनन पट्टेधारियों या क्वारी लाइसेंसधारक की ओर से 7 नवंबर तक सीया से ईसी का पुनर्मूल्यांकन प्राप्त नहीं किया है, तो उन्हें 7 नवंबर के बाद खनन कार्य के लिए अनुमत नहीं होंगे।
नहीं मिली राहत- खनिज व्यवसायियों का कहना है कि प्रदेशभर में अब तक 15 हजार से अधिक ने फार्म 2 भरे हैं,उन्हें भी कोई राहत नहीं मिली है। व्यवसायियों का कहना है कि प्रदेश में तीन सीया (राज्य स्तरीय समिति)थी, वे भी 10 अक्टूबर को भंग हो चुकी है। ऐसे में राज्य स्तर पर ईसी जारी करने वाली कमेटी नहीं है। हालांकि खान सचिव ने गत दिनों उदयपुर बैठक में कहा था कि इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी। उद्यमियों का कहना है कि सरकार को ही राहत के लिए कदम चाहिए।
फैक्ट फाइल- – जिले में जिला स्तरीय समिति से मान्यता लेना है -53 खानों को – जिले में राज्यस्तरीय समिति से मान्यता प्राप्त खाने- 90 – जिले में कुल खाने-143 –
जिले में कोटा स्टोन खान-59 – जिले में लाइम स्टोन खान- 1 – जिले में सेंड स्टोन खान- 30 – मेशनरी स्टोन-38 – बंटोनाइट- 14 – बजरी-01
फॉर्म अपलोड़ करें- सूत्रों ने बताया कि खान विभाग के प्रमुख शासन सचिव टी रविकांत ने गत दिनों आदेश दिए था, जिसमें बताया कि जिन्होंने अभी तक पोर्टल पर फॉर्म 2 अपलोड नहीं किया है, वे 7 नवंबर तक फॉर्म अपलोड कर सीया से ईसी का पुनर्मूल्यांकन करवाएं अन्यथा एनजीटी के 8 अगस्त 2024 के निर्णय एवं वन एवं पर्यावरण मत्रांलय के 14 अक्टूबर के आदेश की अनुपालना में वे 7 नवंबर के बाद खनन कार्य करने को अनुमत नहीं होंगे। उनकी ईसी अवैध मानी जाएगी। हालांकि झालावाड़ जिले में 53 खनन मालिकों के पास पर्यावरण स्वीकृति नहीं है। ऐसे में कई लोगों ने फॉर्म 2 अपलोड कर दिया है, लेकिन अभी कई लोगों को करना बाकी है। ऐसे में समय पर स्वीकृति नहीं लेने पर खाने बंद हो सकती है।
स्टाफ बढ़ाना होगा- सरकार ने प्रयास किए है कि सभी को अनुमति मिल जाएं। लेकिन फाइलें सीया में जाकर रूक जाती है। सरकार को समितियों की संख्या बढ़ानी चाहिए। और समितियों के नीचे काम करने वाला स्टाफ भी बढ़ाना चाहिए। ताकि खनन विभाग से राज्य सरकार को मिलने वाले मोटे राजस्व का नुकसान नहीं हो और श्रमिकों का रोजगार भी प्रभावित नहीं हो। उद्योग एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं।अगर जिले में 40-50 खाने भी बंद होती है। तो कई उद्योग इससे खासे प्रभावित होंगे। उन्हे कच्चा माल नहीं मिल पाएगा।
पुखराज जैन, अध्यक्ष माइन्स एसोसिएशन,झालावाड़।