कैंसर जागरुकता दिवस पर पेश है एक रिपोर्ट… 40 फीसदी तंबाखू का सेवन करने वाले- झालावाड़ मेडिकल कॉलेज की कैंसर यूनिट में आने वालों में कैंसर रोगियों में प्रमुख रूप से 40 फीसदी मरीज मुख व स्तन कैंसर से पीडि़त मरीज हैं।मुख के कैंसर में तंबाखू, गुटखा आदि का सेवन करते थे। जिन मरीजों को चेहरे व गले के कैंसर हुए हैं, उनमें से तो 80 प्रतिशत मरीज तंबाखू का सेवन करने वाले थे। कुछ मरीज ऐसे भी थे, जिन्हें मुंह या गले की जगह शरीर के अन्य भाग में कैंसर हुआ लेकिन उनकी हिस्ट्री से भी पता चला कि वे तंबाखू,गुटके, धूम्रपान आदि का सेवन करते थे।
कैंसर से ऐसे लडऩे की जरुरत- -कैंसर के प्रमुख कारक तंबाखू, धूम्रपान, अल्कोहल आदि का सेवन न करें। -35-40 वर्ष की उम्र के बाद प्रतिवर्ष कम से कम एक बार सामान्य स्वास्थ्य परीक्षण जरूर करवाएं।
-तंबाखू आदि का सेवन करते हैं और मुंह का छाला अधिक दिनों तक ठीक न हो रहा हो या अन्य स्थिति में कैंसर होने की थोड़ी भी शंका हो तो जांच जरूर करवाएं।
-यदि चिकित्सक किसी सामान्य जांच में भी कैंसर होने की आशंका जताते या संकेत देते हैं तो उसे गंभीरता से लें, जांच करवाएं। -फास्ट फूड, केमिकल युक्त खाद्य सामग्री आदि खाने से बचें। दिनचर्या संयमित रखें। शरीर के लिए हल्का- फुल्का ही सही, व्यायाम करें।
जिले में कैंसर मरीज: फैक्ट फाइल – जिले में जनवरी 2018 से अक्टूबर 2024 तक पंजीकृत मरीज- 2614 – मुख कैंसर के मरीज- 849 – स्तन कैंसर के मरीज – 450
– फेफड़े का कैंसर- 313 – सर्वाइकल कैंसर के मरीज- 129 – अन्य मरीज- 873 – जिले में अभी तक किमोथेरेपी हुई- 8868 तीन साल में ऐसे बढ़े मरीज-
2021- 277 2022- 498 2023- 509 कैंसर से लड़े, इन्होनें पाया काबू- केस एक- जिले के एक गांव की शांतिबाई को 2014 में स्तन कैंसर हुआ। कोटा में ऑपरेशन करवाया। उसके बाद एसआरजी में इलाज करवाया, अब एकदम सही है।
केस दो- जिले के एक गांव के अब्दुल सलाम को 2016 में ब्लड कैंसर हुआ। नियमित दवाई ले रहे हैं, अभी इलाज चल रहा है। अब ठीक है। केस तीन- जिले के मोहम्मद यूनुस को 2023 में मल्टीपल कैंसर हुआ। सारी कीमौथैरली एसआरजी में लगी, अभी ठीक है।
केस चार- जिले के निकट एक गांव के माजिद खान को 2015 में मुहं का कैंसर हुआ है। नियमित इलाज लिया अब ठीक है। (मरीजों के मना करने पर नाम परिवॢतत किए गए)
यूनिट खुली, लेकिन मिल रहा पूरे समय इलाज- झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में 2018 से कैंसर मरीजों का इलाज किया जा रहा है। दो साल पहले यहां नई इमरजेंसी में अलग से एक विंग बना दी गई है, लेकिन उसमें पर्याप्त स्टाफ नहीं होने से अस्पताल समय में ही कैंसर यूनिट खुलती है। ऐसे में अगर कोई गंभीर मरीज भर्ती है तो उसे चौथी मंजिल पर भेजा जाता है, या मरीज को घर जाना पड़ता है। जबकि ये यूनिट को पूरे 24 घंटे खुलनी चाहिए ताकि भर्ती मरीजों को दिक्कत नहीं हो। यहां मेडिकल कॉलेज प्रशासन को 3 नर्सिंग स्टाफ की जगह तीन शिफ्टों में तीन-तीन नर्सिंग कर्मियों ड्यूटी लगानी चाहिए, ताकि भर्ती मरीजों को दिक्कत नहीं हो। कैंसर मरीज मांगीलाल ने बताया कि अभी तीन बजे तक ही कैंसर यूनिट खुलती है, जबकि इसे पूरे 24 घंटे खोलने की जरुतर है।
कैंसर मरीजों को नहीं मिल रही दवाइयां- वैसे तो सरकार 7 नंवबर को कैंसर जागरूता दिवस मनाकर लोगों को जागरूक कर रही है। लेकिन सरकार का कैंसर मरीज की दवाई की तरफ कोई ध्यान नहीं है। पिछले डेढ़ माह से झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में कैंसर मरीज को किमो में लगाए जाने वाले जरूरी इंजेक्शन भी नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में मजबूरी में हर बार 3 से 4 हजार के इंजेक्शन बाहर से मंगवाने पड़ रहे हैं।वहीं यहां कीमोथैरपी का लाभ तो मिला है लेकिन कैंसर अस्पताल नहीं बनने के कारण न यहां मरीजों को भर्ती किया जा सकता है और न ही जरूरी उपचार हो पा रहा है। स्टॉफ के नाम पर यहां दो चिकित्सक और तीन नर्सिंग स्टाफ ही हैं। ऐसे में कैंसर पीडि़त सर्जरी के लिए आज भी अन्य शहर जाने को मजबूर हैं।
एक्सपर्ट व्यू- कैंसर के साथ ही जी सकते हैं सामान्य जिंदगी कुछ वर्षोँ में कैंसर की जांच आसान हुई है। दुर्भाग्य है कि कई बार मरीज इस बात को स्वीकार ही नहीं करना चाहते कि उन्हें कैंसर हो सकता है। वे इस सच से डरते, भागते हैं। नतीजा,बीमारी को फैलने का पर्याप्त समय मिल जाता है। ऐसे कई मरीज आते हैं, जिनके प्रकरण में कैंसर के तीसरी-चौथी स्टेज पर पहुंचने का बड़ा कारण, जागरुकता की कमी रहा है। जबकि कैंसर से डरने की नहीं लडऩेे की जरूरत है। सही उपचार से कैंसर के साथ भी लंबे समय तक सामान्य जिंदगी जी जा सकती है। कई लोग जी भी रहे हैं। हमारे यहां कुछ प्रकरण ऐसे हैं।
डॉ. अशोक नागर, जिला कैंसर नोडल ऑफिसर, मेडिकल कॉलेज झालावाड़।