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झाबुआ

एमपी में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया हुई आसान, केंद्र सरकार ने दी मंजूरी

Child Adoption : बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया के लिए दिए 12 सुझावों में से 6 पर भारत सरकार ने मंजूरी की मोहर लगा दी है। अब आसानी से प्रदेश के प्रत्येक जिले में एडॉप्शन एजेंसी खोली जाएगी और शिशु गृह भी बनेंगे।

झाबुआNov 27, 2024 / 10:22 am

Avantika Pandey

child adoption in madhya pradesh

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Child Adoption : प्रदेश में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया को सरल करने के लिए दिए 12 सुझावों में से 6 पर भारत सरकार ने मंजूरी की मोहर लगा दी है। इससे न केवल प्रक्रिया आसान हुई है। बल्कि मप्र के प्रत्येक जिले में एडॉप्शन एजेंसी खोलने का रास्ता साफ भी हो गया है। अगले सत्र में सभी जिलों में शिशु गृह भी स्थापित करने की तैयारी है।
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मध्य प्रदेश की महिला एवं बाल विकास(Women and Child Development) मंत्री निर्मला भूरिया(Nirmala Bhuria) ने पत्रिका से चर्चा में बताया कि वर्तमान में लगभग 20 हजार से ज्यादा पेरेंट्स एडॉप्शन के लिए तैयार है, परंतु केवल 4 हजार 500 बच्चे ही गोद दिए जाने की स्थिति में हैं। विभाग ने परित्यक्त बच्चों को विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण अभिकरणों तक सुरक्षित ढंग से पहुंचाने के लिए अस्पतालों, दत्तक ग्रहण एजेंसी के बाहर और ऐसे हॉटस्पॉट जहां नवजात शिशु को छोड़ जाने की संभावना होती है, वहां 265 पालना स्थापित कराए हैं। जिलों में और नए पालना स्थापित करने के संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं। इससे बच्चों को झाडिय़ों में फेंके जाने की घटना में कमी आई है।
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कारा की कार्यशाला में रखी बात

मंत्री भूरिया(Nirmala Bhuria) ने सेंट्रल एडोप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) की ओर से आयोजित राष्ट्रीय दत्तक ग्रहण जागरूकता कार्यशाला में भी बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया(Child Adoption) को लेकर अपनी बात रखी थी। यहां उन्होंने कहा, देश में दत्तक ग्रहण को प्रोत्साहित करने के लिए हर साल नवंबर में दत्तक ग्रहण जागरूकता माह मनाया जाता है। ये पहल कारा और सहयोगियों द्वारा की जाती है। इसका उद्देश्य कानूनी गोद लेने की प्रक्रिया के बारे में जागरूकता बढ़ाना और गोद लेने के महत्व को बढ़ावा देना है।
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स्पेन के दंपती ने भी रखे थे अनुभव

मंत्री भूरिया(Nirmala Bhuria) ने कारा कार्यशाला का उल्लेख करते हुए कहा कि जिन बच्चों का तुरंत एडॉप्शन नहीं हो पाता, उन्हें अस्थायी रूप से फ़ॉस्टर केयर में रखा जाता है। फ़ॉस्टर केयर में बच्चों, विशेषकर बड़े बच्चे और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को घर दिलाना आवश्यक होता है। हमारी कोशिश है कि अधिकतम बच्चों को फॉस्टर केयर के माध्यम से परिवार मिल सके।
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कार्यशाला में भोपाल रीजनल कॉलेज की सहायक प्राध्यापक शिवाली सरकार ने एक बच्ची को अडॉप्ट करने के अनुभव को साझा किया। किलकारी एजेंसी के माध्यम से एक बच्ची को गोद लेने वाले स्पेन की दंपती ने भी अपना अनुभव साझा किया।

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