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झाबुआ

त्रिपुरा स्टेट रायफल्स के जवान का शव 17 दिन बाद कब्र से निकाला, मोबाइल बता रहा था ‘लास्ट लोकेशन’

Tipura State Rifles: त्रिपुरा स्टेट रायफल्स के जवान का शव मध्यप्रदेश के सतना जिले में मिला था…। 17 दिन से यह शव कब्र में था…। गुरुवार को उसके परिजन अंतिम संस्कार कर रहे हैं…।

झाबुआJul 04, 2024 / 09:34 am

Manish Gite

Tipura State Rifles
त्रिपुरा स्टेट रायफल्स (Tipura State Rifles) के जवान भूरे सिंह की लास्ट लोकेशन से सभी हैरान थे। झाबुआ के रहने वाले इस फौजी का शव सतना जिले में मिला था। 17 दिनों तक कब्र में रखने के बाद उनके परिजन झाबुआ ले गए, गुरुवार को उनका अंतिम संस्कार किया जा रहा है।
मृतक फौजी की पत्नी शारदा भाबर, बेटी प्रियांशी, बेटा उम्मीद, भतीजा बाथू के साथ परिवार के 7 लोग सतना पहुंचे। शव की पहचान करने उसके बेटे का ब्लड सेम्पल डीएनए जांच के लिए प्रिजर्व किया। शव निकलवाने से पहले सभी तरह की औपचारिकता की गई। पुलिस ने बताया कि शव को मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में सतना नदी के श्मशानघाट से निकाला।
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मोबाइल और बैग नहीं मिला

भूरे सिंह के भतीजे बाथू ने बताया कि काका अगरतला से दो बैग लेकर निकले थे, जो अब तक बरामद नहीं हुए हैं। उनके मोबाइल की अंतिम लोकेशन कलेक्ट्रेट के पास बताई गई थी। मोबाइल भी पुलिस को नहीं मिला। शव पर सिर्फ बनियान थी। उनका कुर्ता, त्रिपुरा स्टेट रायफल की आइडी व पैसे कहां चले गए। उन्होंने पुलिस को बताया कि सतना से उनका कोई नाता नहीं रहा। यदि वे ट्रेन से सतना में उतरे तो जवाहर नगर तक कैसे पहुंचे। पत्नी से अंतिम बार 9 जून को बात हुई थी जब वे अगरतला से निकलने वाले थे।

शव पूरी तरह सड़ चुका था

सतना में सिटी कोतवाली इलाके के जवाहर नगर में जल संसाधन विभाग कार्यालय के बाहर पुलिस को भूरे सिंह भाबर का शव 12 जून को मिला था। दो दिन तक उसका शव मुर्चरी में रखा गया था फिर लावारिस मानकर 15 जून को दफना दिया गया। एसडीएम की अनुमति से परिजन की मौजूदगी में भूरे सिंह भाबर का 17 दिन पुराना शव कब्र खोदकर बाहर निकाला गया। शव पूरी तरह सड़-गल चुका था। शव लेकर देर शाम परिजन झाबुआ रवाना हो गए। परिवार 17 जून को सतना आया था।
शरदा ने कहा कि यदि जीआरपी उस दिन शहर के थानों में फोटो भेजकर थोड़ी जानकारी लेती तो तभी पति की शिनाख्त हो जाती और इतने दिन तक परेशान नहीं होना पड़ता। यदि पुलिस ने जीआरपी को मिसिंग पर्सन के बारे में जानकारी दी होती तो तब भी शिनाख्त उसी दिन हो जाती। कोतवाली व जीआरपी चौकी में मिङ्क्षसग पर्सन के मामले में समन्वय नहीं होने से मामले का खुलासा होने में काफी दिन लग गए।

स्टेशन के कैमरों में कैद नहीं जवान

भूरे सिंह भाबर की पत्नी शारदा ने बताया कि 16 जून रात जब पति घर नहीं पहुंचे तो मोबाइल में सम्पर्क किया। जो बंद आ रहा था। पति जहां पदस्थ थे उस यूनिट से पता चला कि वे 9 जून से छुट्टी पर हैं।
यूनिट वालों ने बताया कि 12 जून को उसका मोबाइल बंद हुआ था और अंतिम लोकेशन सतना में मिली थी। वे अगरतला-कमलापति वीकली स्पेशल से भोपाल आ रहे थे। परेशान परिवार के लोग 17 जून की रात सतना पहुंचे। अगले दिन 18 जून को जीआरपी चौकी रेलवे स्टेशन गए और जवान के लापता होने की बात बताई।
जीआरपी ने 12 जून को उक्त ट्रेन का रनिंग स्टेटस देखा तो पता चला कि गाड़ी 9 घंटे की देरी से सतना आई थी। सुबह 8 बजे की ट्रेन शाम 5 बजे आई और उस दिन प्लेटफॉर्म 1 की बजाय 3 पर खड़ी की गई थी। प्लेटफॉर्म 3 पर पूरी तरह से आरपीएफ व जीआरपी के कैमरे की जद में नहीं होने से भूरे सिंह फुटेज में कहीं नहीं दिखा।

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