जम्मू—कश्मीर प्रशासन ने विलय दिवस पर 26 अक्टूबर को राजकीय अवकाश रखा है, लेकिन विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले महाराजा हरि सिंह की जयंती 23 सितंबर की छुट्टी का एलान नहीं किया है। बता दें कि एक दिन पहले लद्दाख ने भी अपना कैलेंडर जारी करते हुए शहीद दिवस और शेख अब्दुल्ला की जयंती पर अवकाश रद्द कर दिया है।
जम्मू—कश्मीर में सरकारी कार्यालयों व शैक्षिक संस्थानों के लिए वर्ष 2020 की घोषित 27 छुट्टियोंं में इस बार सिर्फ विलय दिवस का अवकाश ही नया है। जम्मू—कश्मीर के भारत में विलय के लगभग 72 साल बाद विलय दिवस पर अवकाश का एलान हुआ है। भारतीय जनता पार्टी, पैंथर्स पार्टी समेत कई राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन बरसों से विलय दिवस पर अवकाश की मांग कर रहे थे। वहीं विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले अंतिम डोगरा शासक स्व. महाराजा हरि सिंह की जयंती पर 23 सितम्बर को जम्मू प्रांत के लोगों की अवकाश की मांग केंद्र शासित राज्य प्रशासन ने पूरी नहीं की है।
इधर महाराजा हरि सिंह जयंती पर छुट्टी न होने से जम्मू-कश्मीर में सियासत गरमाई गई है। विभिन्न राजनीतिक दलों ने भाजपा को इस पर घेरने की कोशिश की है। महाराजा की जयंती पर अवकाश के लिए भाजपा ही नहीं, अन्य दल भी आवाज उठाते रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता रविंद्र शर्मा ने छुट्टियों के कैलेंडर में महाराजा हरि सिंह के जन्मदिवस पर अवकाश घोषित न होने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि महाराजा हरि सिंह ने जम्मू—कश्मीर का भारत के साथ विलय किया था। भाजपा लोगों के साथ यह वादा करती रही है, लेकिन वादे को निभाया नहीं गया।
उन्होंने शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के पांच दिसंबर के जन्मदिवस के अवकाश को खत्म करने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि शेख अब्दुल्ला ने अली मोहम्मद जिन्ना के मंसूबों को नाकाम बनाया था। शेख ने टू नेशन थ्योरी का विरोध किया था। शेख ने तब की केंद्र सरकार का समर्थन करते हुए सेना को भी सहयोग दिया था। शेख के जम्मू कश्मीर में योगदान को देखते हुए उनके जन्म दिवस के अवकाश को रद्द नहीं करना चाहिए था।
प्रदेश भाजपा के प्रधान रविंद्र रैना ने विलय दिवस पर अवकाश को ऐतिहासिक फैसला करार देते हुए कहा कि गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस के बाद जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए इस अहम दिन पर अवकाश होना सराहनीय कदम है। उन्होंने कहा कि विलय दिवस का महत्व सिर्फ जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए है क्योंकि महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर 1947 को विलय पत्र पर हस्ताक्षर करके जम्मू कश्मीर का भारत के साथ विलय किया था। उन्होंने शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के जन्मदिवस और शहीदी दिवस पर अवकाश को रद्द करने के फैसले का स्वागत किया। रैना ने कहा कि महाराजा हरि सिंह के जन्मदिवस पर अवकाश के मामले को उपराज्यपाल जीसी मुर्मू के समक्ष उठाया जाएगा।
महाराजा हरि सिंह के पौत्र विक्रमादित्य ने कहा है कि उन्हें खुशी है कि विलय दिवस पर राज्य में सरकारी अवकाश घोषित किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह कदम विलय दिवस के शहीदों के लिए गौरव की बात है। उनके दादा द्धारा उठाए गए विलय के उनके कदमों को सम्मान देने के समान है।