एक तरफ नर्मदा परियोजना के तहत मुख्य केनाल से अधिक पानी बह रहा है। दूसरी तरफ 150 किमी के दायरे में पाइप लाइन से पहुंचने वाली नर्मदा परियोजना की सप्लाई बुरी तरह से प्रभावित है। पिछले करीब दो माह से वॉल्टेज में उतार चढ़ाव का क्रम जारी है, जिससे पंपिंग में औसतन प्रतिदिन 10 से 12 घंटे तक कमी आई है।
इसके परिणाम स्वरूप रोजाना मिलने वाले पानी की मात्रा में 20 से 25 लाख लीटर तक कमी आई। समस्या को लेकर जलदाय विभाग के अधिकारी डिस्कॉम के अधिकारियों को अवगत करवा चुके है। डिस्कॉम के अधिकारी भी इस मसले पर पल्ला झाल रहे हैं। उनका तर्क है यह मामला प्रसारण के अंतर्गत है। वहां से सुधार होने पर ही समस्या का समाधान हो पाएगा।
टैंकरों से जलापूर्ति
अक्सर मई-जून में ही पानी का संकट होने पर लोगों को टैंकरों से पानी मंगवाना पड़ता है, लेकिन इस बार हालात विपरीत है। दिसंबर माह में ही भयंकर जल संकट है। गनीमत है, सर्दी का पीक है, इसलिए पानी की डिमांड अपेक्षाकृत कम है। अभी शेड्यूल दोगुने स्तर पर
जालोर शहर में जलापूर्ति का शेड्यूल 48 घंटे का है, लेकिन वर्तमान में इससे दोगुने अंतराल से आपूर्ति हो रही है। विभागीय जानकारी के अनुसार वर्तमान में 72 से 96 घंटे से आपूर्ति हो रही है।
अभी इतना पानी मौजूद
रोजाना नर्मदा परियोजना से 60 लाख लीटर तक पानी बेहतर स्थिति में उपलब्ध होता है, लेकिन अभी ऐसा नहीं है। 25 से 30 लाख लीटर पानी ही प्रतिदिन मिल रहा है। दूसरी तरफ ट्यूबवैल से भी 15 से 20 लाख लीटर ही पानी मिल रहा है। इस तरह से सप्लाई के लिए जरुरत के मुकाबले आधा पानी ही रोजाना मिल रहा है।
इतना पानी चाहिए
तय मानक के अनुरूप 100 एलपीसीडी पानी प्रति व्यक्ति आपूर्ति होनी चाहिए। यानि 100 लीटर प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति पानी की आपूर्ति नियमानुसार होनी चाहिए। जहां सीवरेज प्रोजेक्ट है। वहां पर प्रतिदिन 135 लीटर प्रति व्यक्ति आपूर्ति जरुरी है, लेकिन अभी जालोर शहर में 70 से 80 लीटर प्रतिदिन प्रति व्यक्ति मुश्किल से पानी की आपूर्ति हो पा रही है।
गर्मी में बढ़ेगी दिक्कत
अभी मुख्य केनाल में भरपूर पानी है, लेकिन सप्लाई पूरी नहीं हो पा रही है। जलदाय विभाग के अधिकारियों की मानें तो जो हालात है वे गर्मी के मौसम के लिए अच्छे संकेत नहीं है। पंपिंग स्टेशन पर वॉल्टेज के उतार चढ़ाव से पंप व्यवस्थित रूप से नहीं चल पा रहे। इस समस्या का समाधान समय रहते नहीं किया गया तो गर्मी के मौसम में भयंकर जल संकट के हालात बनेंगे। सूत्र बताते हैं कि किसानों को सिंचाई को इस बार दो स्लॉट में बिजली की आपूर्ति हो रही है, जबकि हर बार तीन स्लॉट में होती है, जिससे सिस्टम में परेशानी आ रही है और वॉल्टेज में उतार चढ़ाव की स्थिति बन रही है।
इनका कहना
अभी भी वॉल्टेज की समस्या का समाधान नहीं हो पाया है, जिससे पंपिंग प्रभावित होने से पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। वर्तमान में शहर में 72 से 96 घंटे के अंतराल पर आपूर्ति हो रही है। नर्मदा परियोजना आधारित अन्य सप्लाई भी प्रभावित हो रही है। - राकेश सैनी, एईएन, जलदाय विभाग, जालोर