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सिस्टम पर हावी नशा: गुजरात सीमा पर 5 हजार तक की आबादी के गांव हर महीने पीते हैं करोड़ों की शराब

शराब का नशा सरकारी सिस्टम पर इस कदर हावी है कि आंकड़ों के बड़े फेर में विभाग को सीमा क्षेत्र पर स्थित शराब के ठेकों की गड़बड़ियां नजर नहीं आ रही। गुजरात सीमा पर रानीवाड़ा-सांचौर के शराब के ठेकों की सालाना गारंटी चौकाने वाली है।

जालोरFeb 02, 2024 / 04:01 pm

Rakesh Mishra

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शराब का नशा सरकारी सिस्टम पर इस कदर हावी है कि आंकड़ों के बड़े फेर में विभाग को सीमा क्षेत्र पर स्थित शराब के ठेकों की गड़बड़ियां नजर नहीं आ रही। गुजरात सीमा पर रानीवाड़ा-सांचौर के शराब के ठेकों की सालाना गारंटी चौकाने वाली है। यहां 3 से 5 हजार की आबादी के छोटे से गांव में सालाना 2 से 5 करोड़ तक की शराब की बिकवाली होती है। इतनी भारी मात्रा में ये शराब इन गांवों में खपना कितना संभव है यह बड़ा प्रश्न है। दूसरा पक्ष यह है कि बकायदा राजस्थान बोर्डर से गुजरात तक शराब अवैध रूप से पहुंचाई जाती है। विभाग सालाना टारगेट के चक्कर में मौन धारण कर लेता हैं दूसरी तरफ शराब तस्करों को गुजरात में भारी मुनाफा अवैध रूप से शराब पहुंचाने पर होता है। शराब तस्करी का बड़ा गिरोह राजस्थान से गुजरात के बीच काम कर रहा है। इस गिरोह का बड़ा सपोर्ट सीमा पर स्थित शराब की दुकानों से मिल रहा है।

गुजरात सीमा की दुकानों की एक्साइज ड्यूटी चौकाने वाली
भीनमाल और सांचौर सर्किल के अंतर्गत ये सीमावर्ती शराब की दुकानें आती है। आबादी की तुलना में इन गांवों में शराब की बिकवाली बहुत ज्यादा है। धानोल (धानोल, जोड़वास) की सालाना एक्साइज ड्यूटी 4 करोड़ 10 लाख रुपए, खाखरिया (धामसीन, बामनवाड़ा) की 2 करोड़ 82 लाख, कुड़ा की 2 करोड़ 55 लाख, मंडारडी चैक पोस्ट 5 करोड़ 44 लाख, रतनपुर में 2 करोड़ 16 लाख, गोलासन में 4 करोड़ 71 लाख, माखुपुरा चैक पोस्ट 5 करोड़ 33 लाख, गरडाली में 5 करोड़ 56 लाख, सीलू में 5 करोड़ 19 लाख और विरोल बड़ी में 6 करोड़ 61 लाख रुपए की वार्षिक एक्साइज ड्यूटी है।
सांचौर में ये दुकानें लेकिन संदिग्ध
सांचौर क्षेत्र की बात करें तो यहां पर भी गुजरात राज्य की सीमाएं सीधी लगी है। यहां पर भी 1 किमी से 10 किमी के दायरे में गुजरात राज्य की अलग अलग सीमाएं लगती है। सीलू की आबादी करीब 4 हजार, भाटकी की 4500, बड़ी विरोल 3 हजार, गरडाली 4 हजार, गोलासन 5 हजार और सुरावा 4 की आबादी है। यहां ज्यादातर शराब के ठेके 5 करोड़ की गारंटी वाले है।
लाइन मजबूत, पुलिस प्रशासन कमजोर
सांचौर-रानीवाड़ा तक शराब तस्करी की लाइन एक्टिव है। इस पूरे नेटवर्क के सरगना पाली, सिरोही, जालोर जिले से होते हुए सीमावर्ती क्षेत्र रानीवाड़ा और सांचौर तक सक्रिय है। इनका जाल गुजरात तक फैला है। पक्के रास्तों के साथ साथ रानीवाड़ा और सांचौर के गुजरात से जुड़े इन सभी गांवों में कच्चे रास्ते इन तस्करों के तस्करी के नेटवर्क का गढ़ बने हैं।
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200 से 500 मीटर दूरी पर ये गांव तस्करी के गढ़
रानीवाड़ा क्षेत्र में हीरपुरा की आबादी लगभग 3 हजार, रतनपुर की 4500, मैत्रीवाड़ा की 6 हजार, जाखड़ी की 4500, धानोल की 6 हजार, भंवरियां की 2500, धामसीन और बामनवाड़ा की 5500 के करीब है। ये गांव गुजरात सीमा पर है और एक छोर राजस्थान तो दूसरा छोर गुजरात को लगता है। यहीं पर शराब की 2 से 5 करोड़ तक गारंटी वाली शराब की दुकानें चल रही है।

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