इस रिंग पर कुछ कोडिंग थी और उसके अंत में अबूधाबी, संयुक्त अरब अमीरात लिखा था। संदिग्ध लगने पर पुलिस ने इसकी गहनता से जांच की, जिसमें पंखों या अन्य हिस्सों में कोई ट्रांसमीटर नहीं मिला और कुछ भी संदिग्ध नजर नहीं आने पर पक्षी को क्षेत्रीय वन अधिकारी भीनमाल को सुपुर्द किया गया। तिलोर को अंग्रेजी में होबारा बस्टर्ड कहा जाता है।
अबूधाबी में संरक्षित कैटेगरी
डीएफओ ने बताया कि तिलोर (होबारा बस्टर्ड) थार के रेगिस्तान में पाया जाता है, जो विलुप्ति के कगार पर है। इसके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए अंतरराष्ट्रीय होबारा संरक्षण कोष द्वारा कैप्टिव ब्रीडिंग स्वेहान शहर (अबूधाबी) एवं मोरक्को आदि देशों में की जाती है। अब इस पक्षी को
जोधपुर चिड़ियाघर या वाइल्ड एरिया में छोड़ा जा सकता है। इसके लिए उच्चाधिकारियों के निर्देशों का इंतजार किया जा रहा है।
बाज से शिकार करवाते हैं शेख
इन देशों में वन जीव संरक्षण नियम सख्त होने के कारण इन पक्षियों के शिकार पर प्रतिबंध है। इसलिए वहां के अमीर शेख इस तिलोर प्रजाति के पक्षियों को पाकिस्तान लाकर बाज (शिकरा) से शिकार करवाते हैं। इसमें से कुछ पक्षी उड़ कर सीमा पार करके भारत सीमा तक पहुंच जाते हैं। खास बात यह है कि यह पक्षी एक साथ लंबी उड़ान नहीं भर सकता। यह टुकड़ों में कुछ किमी की उड़ान एक बार में भरता है।
पाकिस्तान होते हुए भारत तक पहुंचा पक्षी
वन विभाग का मानना है कि यूएई से यह पक्षी सीधे तौर पर भारत की सीमा तक नहीं पहुंच सकता। संभव है यूएई से कोई इसे पाकिस्तान लाया, जहां से उड़कर यह पक्षी भारतीय सीमा में प्रवेश कर गया। वन विभाग की टीम ने इसकी जांच करवा कर फिलहाल हातिमताई जोड स्थित रेस्क्यू सेंटर में निगरानी रखा गया है। पक्षी का वजन 5 से 6 किलो के बीच बताया जा रहा है। इनका कहना है
तिलोर पक्षी को फिलहाल क्वारन्टाइन कर निगरानी में रखा गया है। उच्चाधिकारियों को अवगत करवाया गया है। वहां से जो भी निर्देश मिलते हैं, उसके अनुसार आगामी कार्रवाई की जाएगी।
- देवेंद्रसिंह भाटी, उप वन संरक्षक, जालोर