परकोटे का वैभव नहीं लौटा, 15 लाख आबादी की सैटेलाइट हॉस्पिटल की आस आज भी अधूरी
जालोर जिले के भीमपुरा निवासी साक्षी के मुंह में गत 15 अक्टूबर को प्लास्टिक से बने पेन के ढक्कन का टुकड़ा देखा था। उस दौरान मां ने इस टुकड़े को निकालने की कोशिश की थी लेकिन ऐसा नहीं हो सकता था। इसके बाद बच्ची को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। तत्काल उसे अस्पताल ले जाया गया लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ। उस दौरान किसी ने अहमदाबाद के सिविल अस्पताल ले जाने की सलाह दी थी।
इसके बाद 16 अक्टूबर की सुबह साक्षी को अहमदाबाद के सिविल अस्पताल लाया गया। उस दौरान उसकी स्थिति काफी खराब थी। ऑक्सीजन सेच्युरेशन 55 से 60 के बीच था। इमरजेंसी में ही ब्रॉन्कोस्कॉपी करने पर पता चला कि प्लास्टिक का एक टुकड़ा बालिका के दाहिने फेफड़े में फंसा हुआ है जिसे निकाला गया। बाल सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश जोशी डॉ. कल्पेश पटेल, डॉ, भावना और डॉ. अमृता ने यह ऑपरेशन किया।
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दो वर्ष में 51 बच्चों के करने पड़े ऑपरेशन
बच्चो के खिलौने के टुकड़े, प्लास्टिक के टुकड़े आदि फंसने के पिछले दो वर्ष में 51 ऑपरेशन किए गए हैं। इनमें से 50 फीसदी की आयु एक वर्ष से कम है। छोटे बच्चों को इस तरह की वस्तुएं नहीं देनी चाहिए। ऐसा करना बच्चों के लिए काफी खतरनाक भी हो सकता है।