हराने के लिए कड़ी व्यूह रचना की गई
विदित हो कि उदय पिंडारी भले ही निर्विरोध सभापति बन गए हों लेकिन उनके लिए चुनाव आसान नहीं है। उन्हें हराने के लिए कड़ी व्यूह रचना की गई थी। उदय पिंडारी ने बहुत ही सूझबूझ से इस व्यूह रचना को नाकाम किया। अपनी लगभग पूरी टीम को संचालक निर्वाचित कराने के बाद निश्चिंत हो गए थे और इसी के मुताबिक सभापति और उपसभापति के लिए उनकी टीम के खिलाफ पर्चा भरने कोई नहीं आया। दरअसल, उदय पिंडारी अपनी टीम को संचालक पदों पर जीत का सेहरा पहनाकर निश्चित हो चुके थे। यही कारण रहा कि सभापति और उप सभापति पद पर किसी ने उनके खिलाफ में पर्चा ही दाखिल नहीं किया।
वीरेंद्र खरूसा उत्तर प्रदेश कॉपरेटिव बैंक के लिए चुने गए
राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर की शीर्ष सहकारी संस्थाओं के लिए 11 डेलीगेट भी चुने गए। उत्तर प्रदेश का कॉपरेटिव बैंक के लिए तीन डेलीगेट उदय पिण्डारी के अभिन्न सहयोगी और पूर्व जिला अध्यक्ष बृजभूषण सिंह मुन्नूए लाल प्रताप सिंह मई और शारदा देवी पत्नी वीरेंद्र खरूसा उत्तर प्रदेश कॉपरेटिव बैंक के लिए चुने गए। स्वयं उदय पिंडारी इफको दिल्ली के डायरेक्टर चुने गए। कृभको में आलोक दीक्षित पहुंचने में कामयाब रहे। सांसद भानु प्रताप वर्मा के पुत्र मनोज भान पीसीयू लखनऊ में और कृष्ण मुरारी शर्मा पीसीएफ में पहुंचे।