260 विद्यालयों के मर्जिंग के पीछे कारण
शिक्षा विभाग के अनुसार जिन विद्यालयों को मर्ज किया गया है, उनके पीछे मुख्य कारण शून्य या अत्यंत कम नामांकन, एक ही परिसर में या अत्यधिक समीपस्थ विद्यालयों का संचालन और सीमित संसाधनों का सही उपयोग सुनिश्चित करना है। विभाग के अनुसार इस निर्णय से उन विद्यालयों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करना है, जहां छात्र संख्या अधिक है, ताकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित हो सके।
जैसलमेर में ये विद्यालय हुए मर्ज
जिले में जिन 13 विद्यालयों को मर्ज किया गया है, उनमें राप्रावि मेघवाल बेलदारों की ढाणी को राउमावि पाबनासर में मर्ज किया गया है। इसी प्रकार राप्रावि मेघवालों का वास चेलक को राउमावि चेलक, राप्रावि बारटों की ढाणी को राउमावि दवाड़ा, राप्रावि छोटूसिंह की ढाणी और राप्रावि कोजेरी नाडी को राउमावि डेलासर में मर्ज किया गया है। इसके अलावा राप्रावि मंगलसिंह की ढाणी को राउमावि कीता, राप्रावि जाजकी को राउमावि छायण, राप्रावि बीदतसिंह की ढाणी को राउमावि रामदेवरा, राप्रावि नालों की ढाणी को राउमावि बारहठ का गांव, राप्रावि जेठमल की ढाणी को राउमावि शोभ, राप्रावि रूघसिंह की ढाणी को राउमावि पूनमनगर, राप्रावि निहाल खां की ढाणी को राउमावि अड़बाला और राप्रावि संग्रामसिंह की ढाणी को राउमावि जानरा में मर्ज किया गया है।
यह है हकीकत: फायदे और चुनौतियां भी
इस निर्णय से संसाधनों का अधिकतम उपयोग होगा, छात्रों को बेहतर शैक्षणिक माहौल व योग्य शिक्षकों की उपलब्धता हो सकेगी। इसके अलावा प्रशासनिक कार्य सरल और प्रभावी होंगे, साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा। वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को नए विद्यालयों तक पहुंचने में समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा दूरस्थ क्षेत्रों में परिवहन सुविधाओं की कमी एक बड़ी बाधा बन सकती है।