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जैसलमेर

सरहद पर ‘उड़ते धोरों ‘ पर निगरानी रखेगा ‘बांस’

– देश में पहली बार सीमा क्षेत्र में रेगिस्तान का रूप बदलने की कवायद- पाकिस्तान सीमा से सटे क्षेत्र में बांस के रोपण का आगाज जैसलमेर से- सीमा सुरक्षा बल और खादी एवं ग्रामोद्योग का सम्मिलित पायलट प्रोजेक्ट

जैसलमेरJul 27, 2021 / 12:52 pm

Deepak Vyas

सरहद पर 'उड़ते धोरों ' पर निगरानी रखेगा 'बांस'

सरहद पर ‘उड़ते धोरों ‘ पर निगरानी रखेगा ‘बांस’

जैसलमेर. सूखा प्रभावित जैसलमेर के रेगिस्तानी भूभाग में बांस का पौधरोपण कर इस क्षेत्र को हरित बनाने के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र में धोरों के खिसकने की समस्या से निपटने के लिए सीमा सुरक्षा बल और भारत सरकार के खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग की तरफ से साझा प्रयास किया जा रहा है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत यह प्रयोग तनोट सीमा क्षेत्र में किया जाएगा। जहां इसे सफलता मिलने पर पूरे रेगिस्तानी भू-भाग में इस कार्ययोजना को अमलीजामा पहनाया जा सकेगा। इस रेगिस्तान को नखलिस्तान में तब्दील करने की योजना को बोल्ड यानी सूखी जमीन पर बांस नखलिस्तान नाम दिया गया है। मंगलवार को सीमा सुरक्षा बल के विशेष महानिदेशक पश्चिम सुरेंद्र पंवार तथा खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना इसकी शुरुआत तनोट क्षेत्र से करने वाले हैं।
तो बदल जाएगी तस्वीर
सीसुब सूत्रों के अनुसार खादी और ग्रामोद्योग आयोगए भारत सरकार के एमएसएमई मंत्रालय के तहत पायलट प्रोजेक्ट बोल्ड यानी सूखे में भूमि पर ‘बांस’ से रेगिस्तानी क्षेत्र में व्यापक आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक विकास संभव हो सकेगा। बहुत कम पानी से बढऩे वाले बांस के पौधे तेजी से बढ़ते हैं। इस पायलट प्रोजेक्ट के सफल रहने के बाद इसे भारत.पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा के अलावा पूरे रेगिस्तानी क्षेत्र में आजमाया जा सकता है। जिससे यह सूखी व बंजर जमीन हरित पट्टी बन जाएगी। इससे सीमा पर शिफ्टिंग सेंड ड्यून्स की समस्या पर भी काबू पाया जा सकेगा। वर्तमान में जैसलमेर सहित पश्चिम राजस्थान और प्रदेश के कई इलाकों में बियाबान रेगिस्तानी क्षेत्र है। जो बाशिंदों के लिए जीवन को बहुत कठिन बनाता रहा है। बांस प्रोजेक्ट के सफल होने से यह इलाका हरा भरा हो जाएगा।
देश में पहली बार
सीसुब सूत्र बताते हैं कि बोल्ड परियोजना भारत में प्रथम योजना है, जिसमें शुष्क और अर्ध.शुष्क भूमि में बांस लगाकर संबंधित क्षेत्र को हरित क्षेत्र में बदला जाना है। सीमा सुरक्षा बल और खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के संयुक्त प्रयास से यह पहली की जा रही है। केन्द्र सरकार की ओर से व्यापक पैमाने पर खेती के लिए ‘नेशनल बैंबू मिशनÓ भी बनाया है। जिसके तहत किसान को बांस की खेती करने पर प्रति पौधा सरकारी सहायता भी मिलती है। वैसे, बांस की खेती एक ऋतु तक सीमित नहीं रहती। इसकी कृषि में करीब चार वर्ष की अवधि लगती है। बांस के पौधे कुछ मीटर दूरी पर लगते हैं। कई किसान इसकी खेती के साथ ही बीच में आसानी से होने वाली कोई दूसरी खेती भी कर लेते हैं।
फैक्ट फाइल
-703 किलोमीटर लंबी जैसलमेर-बाड़मेर की अंतरराष्ट्रीय सीमा है पाकिस्तान से सटी हुई
-2 हेड क्वार्टर सीसुब के जैसलमेर में
-8 हजार के करीब सीसुब के जवान तैनात है जैसलमेर सरहदी क्षेत्र में

तकनीकी ने बढ़ाई क्षमता
बल के जवान व्यक्तिगत वीरता और ऊंचे मनोबल के लिए दुनिया में अलहदा पहचान रखते हैं, लेकिन विगत वर्षों के दौरान सीमाओं पर मजबूत तारबंदी, फ्लड लाइट्स, पेट्रोलिंग के लिए फॉर व्हील ड्राइव वाहन, अंधड़ व कोहरे में साफ देख लेने वाली दूरबीन, अत्याधुनिक हथियार आदि ने उसे लौह आवरण मुहैया करवा दिया है। साल में चलाए जाने वाले ऑपरेशन तथा केंद्र से मिलने वाले अलर्ट के समय बल के अधिकांश जवान सीमा पर भेज दिए जाते हैं और अधिकारी भी सीमा क्षेत्र में पहुंचते हैं। विगत अर्से के दौरान सीसुब का जिला पुलिस के साथ अन्य सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों के साथ तालमेल में बढ़ोतरी हुई है।

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