नैतिक मूल्यों का पतन
सर्वे रिपोर्ट मे यह बात भी सामने आई है कि लगभग 65 प्रतिशत युवा पैसे और पद को ही जीवन का अंतिम लक्ष्य मानते हैं। मानसिकता ने उनके बीच अति महत्वाकांक्षा और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया है। नशे की लत ने 30 प्रतिशत युवाओं को अपनी गिरफ्त में ले लिया है, जिसमें बीड़ी, गुटखा और शराब का सेवन शामिल है। पिछले कुछ अर्से से युवाओं में बेहद घातक ड्रग्स जैसे मादक पदार्थों के नशे के प्रति आकर्षण भी बढ़ गया है। कई युवा तो इस चक्कर में जेल के सीखंचों तक भी पहुंच गए हैं।
सोशल मीडिया का बढ़ता प्रभाव
पूरी दुनिया में डिस्ट्रेक्शन का कारण बन रहे मोबाइल ने सीमावर्ती जैसलमेर के युवाओं को भी अपनी जकडऩ में ले रखा है। सर्वे में पता चलता है कि 85 प्रतिशत तक युवा मोबाइल और सोशल मीडिया की लत में उलझे हैं। शोध के अनुसार इनका अत्यधिक उपयोग उनकी पढ़ाई, एकाग्रता, और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है।
एक्सपर्ट व्यू : समाधान की राह
जिले के युवाओं पर सर्वे और शोध करने वाले राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता काउंसलर डॉ. गौरव बिस्सा का कहना है कि युवाओं को सही दिशा देने के लिए करियर काउंसलिंग, स्वाध्याय बढ़ाने के लिए पुस्तक क्लब और संस्कारपरक शिक्षा पर जोर देना आवश्यक है। अभिभावकों को भी चाहिए कि वे अपने बच्चों के आदर्श बनें और उन्हें प्रेरित करें। जैसलमेर के युवाओं को जागरूकता, सही मार्गदर्शन और प्रेरणा की आवश्यकता है, ताकि वे व्यक्तिगत और सामाजिक विकास में सक्रिय योगदान दे सकें।