दरअसल, शिक्षा मंत्रालय की ओर से हर छात्र की एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी) आइडी बनाई जा रही है। अब कॉलेज या विश्वविद्यालय में प्रवेश के समय छात्रों से यह आइडी मांगी जा रही है। छात्र अपने आधार कार्ड के आधार पर एबीसी आइडी बना रहे हैं, लेकिन यूनिवर्सिटी के पास जो छात्र का रिकॉर्ड है, वह एबीसी आइडी से मिसमैच हो रहा है। इसका कारण यह है कि छात्रों ने पहले जब विश्वविद्यालय में अपना फॉर्म भरा था, तो उन्होंने गलत जानकारी दी थी। इसलिए अब नए परीक्षा फॉर्म भरने से पहले विश्वविद्यालय छात्रों के दस्तावेज को एबीसी आइडी से वेरिफाई कर रही है। डेटा मिसमैच होने की स्थिति में संशोधन करवाया जा रहा है। इसके लिए विश्वविद्यालय में एक काउंटर भी शुरू किया गया है, जहां रोज़ सैकड़ों छात्र-छात्राएं दस्तावेज वेरिफिकेशन के लिए कतार में खड़े होते हैं।
क्या है एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट आइडी? विश्वविद्यालयों में अब प्रवेश के साथ ही छात्रों से एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट आइडी ली जा रही है। इस आइडी के बिना छात्र को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। राज्य के विश्वविद्यालयों में छात्रों की एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट आइडी तैयार करवाई जा रही है, जिसके जरिए छात्रों के शैक्षणिक दस्तावेज का रिकॉर्ड विश्वविद्यालयों के पास रहेगा। यह आइडी डीजी लॉकर से लिंक की जाएगी और विश्वविद्यालय छात्र के सभी शैक्षणिक दस्तावेज़ डीजी लॉकर में भेजेगी। लेकिन यदि छात्र का डेटा मिसमैच होता है, तो रिकॉर्ड डीजी लॉकर में नहीं भेजा जाएगा।
डिग्रियों का फर्जीवाड़ा रुकेगा यूजीसी की ओर से सभी विश्वविद्यालयों को एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट आइडी बनाने के लिए पत्र भेजा गया है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि भर्ती परीक्षाओं में फर्जी डिग्री के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। कई विश्वविद्यालय बैकडेट में डिग्रियां जारी कर रहे हैं। एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट आइडी के बाद विश्वविद्यालयों को तय समय पर छात्र की डिग्री को अपडेट करना होगा। इससे फर्जी दस्तावेज पर नियंत्रण लगेगा और भर्ती एजेंसियां उसी आइडी के माध्यम से अभ्यर्थियों का दस्तावेज वेरिफिकेशन कर सकेंगी।
छात्रों ने जब पहले प्रवेश लिया था, तब परीक्षा फॉर्म में गलत जानकारी दी थी। अब एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट आइडी में दस्तावेज की जानकारी अलग है, जिससे छात्रों का डेटा मिसमैच हो रहा है। इससे भविष्य में छात्रों को दिक्कत हो सकती है, इसीलिए परीक्षा फॉर्म भरने से पहले दस्तावेज को वेरिफाई किया जा रहा है।
राकेश राव, परीक्षा नियंत्रक, राजस्थान विश्वविद्यालय