पूरा देश भले ही पिज्जा और बर्गर का दीवाना हो, लेकिन कोटा के लोगों की जुबान पर कोटा कचौरी का जायका ही छाया हुआ है। उदड़ की दाल से बनने वाली इस खास कचौरी के जायके का सफर रियासतकाल में शुरु हुआ जो आधुनिकता की निशानी समझे जाने वाले खाने-पीने पर भी भारी पड़ गया। इसका अंदाज इसी बात से लगा सकते हैं कि कोटा में 350 से ज्यादा दुकानों और करीब इतने ही ठेलों पर हर रोज चार लाख से ज्यादा कचौरियां बिकती हैं। जिन्हें लोग बड़े चाव से खाते हैं।
जितना अनूठा अलवर का नैसर्गिक सौंदर्य है, उतना ही अनूठा है अलवर का मिल्क केक। आम बोलचाल में कलाकंद के नाम से प्रचलित मिल्क केक दूध से बनी एक ऐसी मिठाई है जिसका नाम सुनकर ही मुंह में पानी आ जाता है। बेहद सामान्य सामग्री और सामान्य प्रक्रिया से बनने वाली इस मिठाई के मुरीद देश ही नहीं बल्कि विदेशों में है। इस मिठाई ने देश दुनिया में अलवर के नाम को एक नया आयाम भी दिया है। आज मिल्क केक का नाम आते ही सबसे पहले अलवर का नाम आता है। आज यह अलवर की पहचान बन गया है।
जयपुर अपने स्वादिष्ट, मसालेदार और चटपटे भोजन के लिए काफी विख्यात है। जयपुर में होकर अगर जयपुरी गट्टा और घेवर नहीं खाया तो बेकार है। जयपुर के गट्टे की सब्जी पूरी के साथ एक बार तो जरूर खाएं। इसके अलावा दाल बाटी-चूरमा भी यहां की शान है। खानें के शौकीनों के लिए नेहरू बाजार और जौहरी बाजार सबसे अच्छी जगह है। अगर आप मिठाईयों के शौकीन हैं तो यहां के बने रबड़ी-पनीर के घेवर का एक पीस जरूर चखें। जयपुर का मिश्री मावा पूरी दुनिया में काफी लोकप्रिय हैं।
कचौरी तो सब जगह मिल जाती है कहीं मावे की, कहीं प्याज की तो कहीं हींग की, लेकिन क्या कभी किसी कचौरे के बारे में सुना है। अगर अजमेर के नसीराबाद शहर के जायके की बात की जाए तो यहां कचौरी नहीं कचौरा बनाया जाता है। जी हां कचौरा। जो बेहद ही बड़े आकार का होता है और उसमें कई तरह की चटनियां डाली जाती है। एक बार उसे खा लिया जाए तो उसका स्वाद कभी नहीं भूला जा सकता।
बीकानेर शहर के अगर जायके की बात की जाए तो वो दुनिया में अपने रसगुल्लों, भुजिया और पापड़ के लिए विशेष पहचान रखता है। यहां के बने स्वादिष्ट रसगुल्ले मन को मिठास से भर देने वाले होते हैं। यहां की बीकानेरी भुजिया तो सभी जगह बीकानेरी नमकीन के नाम से मशहूर है।
कचौरी तो सब जगह मिलती है लेकिन जो कचौरी जोधपुर में मिलती है उसकी तो बात ही कुछ अलग है। जोधपुर की मावा कचौरी का स्वाद वाकई अलग हटकर होता है। जोधपुर अपने मावा कचौरी के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। सूखे मेवे और मावे से भरी, करारी तली हुई कचौरी को चासनी से ढक़ा जाता है। जोधपुर का मिर्ची वडा भी अपने स्वाद की छाप छोड़े हुए है। हरी मिर्च में मसालेदार आलू का मिक्सचर भरकर डीप फ्राई किया जाता है। फिर इसे खट्टी-मिठी चटनी के साथ खाया जाता है।
अजमेर के स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद भी आप कभी नहीं भूल सकते। चाहे वो यहां की कढ़ी कचौरी हो या पानी-पताशी। उनका तीखापन और चटपटा स्वाद वाकई लाजवाब है। यहां कचौरी के साथ दी जाने वाली कढ़ी का उसके साथ जो कॉम्बिनेशन और टेस्ट बनता है, वो कहीं और नहीं है।
भरतपुर के करौली जिले की गजक नहीं खाई तो क्या खाया। गुड़ से बनी स्वादिष्ट ये गजक मुंह में रखते ही घुल जाती है। यहां की गलियों
में गजक की महक पसरे रहती है।
जयपुर के आमेर में बनी गुजिया और मोटी सेव के क्या कहने। जब भी आमेर जाने का मौका मिले तो यहां की गुजिया और मोटी सेव का स्वाद लेना न भूलें। साथ ही यहां के मावे के पेडे भी काफी स्वादिष्ट होते है।
भरतपुर की भुसावर तहसील में भले ही छोटी हो लेकिन यहां का स्वाद विदेशों तक में लोकप्रिय है। भुसावर अपने आचार के लिए फेमस है। यहां बने आचार का चटकारा खाने के स्वाद को और बढ़ा देता है।
सवाईमाधोपुर के अमरूदों का भी जवाब नहीं। सवाईमाधोपुर के ‘पेडे‘ के नाम से मशहूर ये अमरूद खाने में काफी मिठे होते हैं। इसलिए लोग इन्हें पेडे के नाम से भी जानते हैं।