कभी भी उन्होंने श्रेय लेने की होड़ नहीं रखी
मनमोहन सिंह ऐसे व्यक्तित्व के धनी थे जो शालीनता, अपनी विनम्रता और सहज व्यक्तित्व से 10 साल तक प्रधानमंत्री रहे। कभी भी उन्होंने श्रेय लेने की होड़ नहीं रखी। अपने सहयोगियों और राजनीतिक सहयोगियों के साथ मधुर संबंध रहे। उनकी ईमानदारी और निष्ठा एक उदाहरण है, जो लंबे समय तक लोगों के लिए मिसाल रहेगा।
किसानों और कृषि से जुड़े मामलों पर हमेशा बात करते
कैबिनेट में उनका चर्चाओं पर बहुत फोकस रहता था। मेरे पास टेलीकॉम मंत्रालय था, लेकिन किसानों और कृषि से जुड़े मामलों पर हमेशा बात करते रहते थे। उन्होंने काम करने का बहुत अवसर दिया। मैं बहुत कम उम्र में सांसद बना, लेकिन मेरे सुझाव मांगते थे। हम जब उनके पास नई नई पॉलिसी या योजना लेकर जाते थे तो वो हमें हमेशा प्रोत्साहित करते थे। एक रिलेशनशिप होता है प्रधानमंत्री और मंत्री का, लेकिन उसकी जगह वो पारिवारिक रिश्ता रखते थे।
अपनी कैबिनेट में युवा मंत्रियों को तवज्जो दी
मनमोहन सिंह जी की उच्च शिक्षा थी, वर्ल्ड बैंक में काम किया। इसके बावजूद बहुत विनम्र थे। वो कहते हैं जो व्यक्ति शिक्षा का जितना धनी होता है, उतना ही वो विनम्र होता है। डॉ. साहब ने हमेशा अपनी कैबिनेट में युवा मंत्रियों को तवज्जो दी। उनकी राय को पॉलिसी में शामिल किया।
देश उनके योगदान को कभी नहीं भूल पाएगा
मैंने भी अर्थशास्त्र पढ़ा है तो स्वाभाविक बात है कि आपसी तालमेल और समझ हो जाती है। कॉर्पोरेट मिनिस्टर के तौर पर मेरे कार्यकाल में सुधारों के लिए उनके सुझावों ने काफी मदद की। सीएसआर की पॉलिसी उन्हीं के मार्गदर्शन में साकार हुई। मेरे को उनका बहुत सानिध्य मिला। देश डॉ.साहब के योगदान को कभी नहीं भूल पाएगा…पीढ़ियां उनके आदर्शों पर चलेंगी।