प्रदेश का रणथंभौर टाइगर रिजर्व बाघों की आबादी बढ़ाने के लिए मुफीद साबित हुआ है। अब यहां क्षमता से अधिक टाइगर हो चुके हैं और इनमें आपसी और ग्रामीणों से संघर्ष बढऩे लग गए हैं। ऐसे में बाघों को अन्य जंगलों में शिफ्ट करने पर गंभीरता से विचार शुरू हो गया है। पिछले एक साल में चार बाघों को मुकुन्दरा टाइगर रिजर्व भेजा जा चुका है। इसके बाद भी वन विभाग की चिंता बरकरार है। इसको लेकर वन विभाग ने मई में भारत सरकार, नेशनल टाइगर कन्जरवेशन ऑथोरिटी, भारतीय वन्य जीव संस्थान और वन्य जीव विशेषज्ञों के साथ कार्यशाला भी की। इसमें सात जंगलों का चयन बाघों की शिफ्टिंग के लिए किया गया। इस कार्यशाला में बाघों को दूृसरे जंगलों में भेजने के लिए कॉरिडोर बनाने पर भी चर्चा हुई थी।
चुनौती भी खूब
वन विभाग के अफसरों का कहना है कि यह सुनने में अच्छा लगता है कि रणथंभौर से बाघों को अन्य जंगलों में शिफ्ट किया जाएगा, लेकिन यह काम आसान नहीं है। इसमें खासी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। वैसे यह काम एक-दो दिन में नहीं बल्कि इनको अंजाम तक पहुंचाने में चार से पांच साल तक का समय लग सकता है। वहीं जंगलों में अवैध खनन, पेड़ों की कटाई और बाघों के लिए शिकार (भोजन) की कमी होना भी चिंता का विषय है।
अभी इन जिलों के जंगल में बाघ वर्तमान में रणथंभौर, सरिस्का (
Sariska Tiger Reserve ) और मुकुन्दरा टाइगर रिजर्व (
Mukundara Hills tiger reserve ) में बाघ दिखाई देते हैं। रणथंभौर टाइगर रिजर्व सवाई माधोपुर और करौली, सरिस्का में अलवर और मुकुंदरा में कोटा, झालावाड़, चित्तौडगढ़़ और बूंदी क्षेत्र का जंगल शामिल है।
यहां लाने की योजना
रामधारी विषधारी अभयारण्य, बूंदी ( Ramgarh Vishdhari Wildlife Sanctuary Bundi )
कुम्भलगढ़ अभयारण्य ( Kumbhalgarh Wildlife Sanctuary ) उदयपुर, राजसमंद, पाली
रावली-टाटगढ़ अभयारण्य राजसमंद, पाली, अजमेर
झिरी वन, धौलपुर
बांसीयाल-खेतड़ी वन, झुंझुनूं
सुल्तानपुर वन, बूंदी
शाहबाद वन, बारां
रणथम्भौर में बाघ
कुल बाघ 71
नर 25
मादा 25
शावक 21