इन जिलों में आना है पानीः नए जिले, बनने के बाद परियोजना में 21 जिले शामिल है। इनमें जयपुर, झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, अजमेर, टोंक दौसा, करौली, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, गंगापुरसिटी, ब्यावर केकड़ी, दूदू कोटपुतली – बहरोड़, खैरथल – तिजारा, डीग व जयपुर ग्रामीण है।
इस तरह हो सकता है समाधान
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पिछले दिनों दिल्ली में केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री और दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मिल चुके हैं। भले ही यह मुलाकात सामान्य रही हो लेकिन दोनों प्रोजेक्ट के मामले में भी बात की। अब नियमित मॉनिटरिंग की जरूरत। राजस्थान इस प्रोजेक्ट के तहत नवनेरा बैराज और ईसरदा बांध का निर्माण करा रहा है। यदि परियोजना में आगे का काम नहीं हुआ तो इनका पूरा फायदा नहीं मिल सकेगा। केन्द्र को निरंतर यह बताना जरूरी। साथ ही केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री को सारी स्थिति की जानकारी दें, ताकि उनके स्तर पर भी बातचीत हो सके।
ये हैं महत्वपूर्ण प्रोजेक्टस…..
पीकेसी ईस्टर्न राजस्थान कैनाल लिंक प्रोजेक्ट करीब 45000 करोड़ के प्रोजेक्ट की संयुक्त डीपीआर बननी है, जिसके बाद ही काम आगे बढेगा। केन्द्र सरकार भी 90 प्रतिशत फंडिंग करने पर फैसला कर पाएगी। अभी तक राजस्थान सरकार अपने स्तर पर नवनेरा बैराज और ईसरदा बांध का निर्माण करा रही है। प्रोजेक्ट के बाकी हिस्सों में काम अटका हुआ है। इस प्रोजेक्ट से 80 हजार हेक्टेयर से ज्यादा जमीन की सिंचाई और 35 से 40 लाख आबादी को पानी मिलने की राह खुलेगी। 28 जनवरी को दिल्ली में एमओयू हुआ था।
यमुना जल प्रोजेक्ट राजस्थान ने यमुना के पानी के लिए अपने स्तर पर डीपीआर बनाकर वर्ष 2003 में हरियाणा को भेजी थी। इसके बाद संशोधित डीपीआर वर्ष 2017 और फिर वर्ष 2021 में भेजी गई, लेकिन हरियाणा ने कुछ नहीं किया। इससे सबक लेते हुए अब संयुक्त डीपीआर बनाने के लिए टॉस्क फोर्स बनाई जानी है। राजस्थान तो 14 मार्च को ही अफसरों की टास्क फोर्स गठन कर चुका है। हरियाणा को बार बार कहा, लेकिन कुछ नहीं हुआ। 17 फरवरी को दिल्ली में एमओयू साइन किया गया था।