ज्योतिषाचार्य डॉ. रवि शर्मा ने बताया कि सूर्यदेव शाम 6.16 बजे हाथी पर सवार होकर मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। इससे सूर्य संक्रांति का संयोग भी बनेगा। संक्रान्ति का पुण्यकाल सुबह 11 बजकर 52 मिनट से प्रारम्भ होगा, जो शाम 7 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। सूर्य के राशि परिवर्तन से विद्वज्जन, वैज्ञानिक, शिक्षाविद् को उत्साहजनक परिणाम प्राप्त होंगे। पशुपालकों व डेयरी उत्पादकों को उत्तम फलदायक होगा। वहीं उद्योगपतियों व व्यापारिक वर्ग के लिए प्रतिस्पर्धा व संघर्षमय रहेगा।
वित्तमंत्री का दर्जा प्राप्त
ज्योतिषाचार्य नरोत्तम पुजारी ने बताया कि वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य हर एक माह में अपनी राशि बदलते हैं। सूर्य के राशि बदलने को संक्रांति कहा जाता है। सूर्य 15 जून को वृषभ राशि की यात्रा को विराम देते हुए मिथुन राशि में गोचर करेंगे। वैदिक ज्योतिष में सूर्य आत्मा, मान-सम्मान, नेतृत्व कौशल और धन के कारक होते हैं। नवसंवत्सर में सूर्यदेव को खादयमंत्री और वित्तमंत्री का दर्जा प्राप्त है। वहीं आध्यात्मिक ग्रह बृहस्पति से त्रिएकादश योग भी बनेगा। ऐसे में मेष, सिंह, मकर राशि के जातकों के लिए विशेष फलदायक रहेगा।
बुध का मिथुन राशि में गोचर
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि जून माह में 5 प्रमुख ग्रहों का राशि परिवर्तन देखने को मिल रहा है। सूर्य देव के अलावा न्याय के देवता शनिदेव 17 जून से उलटी चाल चलेंगे। इस दिन रात 10 बजकर 55 मिनट पर शनिदेव कुंभ राशि में वक्री होंगे, जो 4 माह 19 दिन तक उलटी चाल चलेंगे। वहीं 24 जून को बुध मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। बुध के शुभ प्रभाव से व्यक्ति की तार्किक क्षमता और वाणी का कौशल काफी बढ़ जाता है। कन्या और मिथुन राशि के स्वामी बुध ग्रह होते हैं।