टक्कर इतनी भीषण थी कि कार के आगे का हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया और कार के आगे का कांच टूटकर बिखर गया। कार में फंसने की वजह से एक्टिवा जगह जगह से टूट गई। पुलिस ने क्षतिग्रस्त वाहनों को यार्ड में खड़ा करवाया है। पुलिस अब कार नम्बरों के आधार पर चालक की तलाश कर रही है।
टक्कर लगने के बाद प्रदीप को पड़ा हुआ देख किसी राहगीर ने एबुलेंस को सूचना दी। एबुलेंस मौके पर पहुंची तो प्रदीप ने पैटर्न लॉक खोलकर घर वालों को सूचना देने के लिए कहा। जयपुरिया अस्पताल पहुंचने पर ऑफिस से अस्पताल मिलने गए लोगों को पहचान रहे थे और उन्हें नाम से संबोधित कर रहे थे।
मृतक के परिजनों का आरोप है कि जयपुरिया अस्पताल की इमरजेंसी में घोर लापरवाही हुई है। समय पर इलाज नही मिलने से उनकी जान गई है। कारण कि ना तो डॉक्टरों ने उन्हें समय पर संभाला और ना ही उन्हें सीटी स्कैन संबंधित जरूरी जांच की गई। उनका आरोप है कि रात के समय अस्पताल में कोई सीनियर डॉक्टर भी नही था। रेजीडेंट डॉक्टरों ने गंभीर घायल प्रदीप सरकार को सामान्य उपचार देकर घर जाने के लिए कह दिया। जबकि उनकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। कुछ ही देर में तड़पते हुए दम तोड़ दिया। परिजनों का आरोप है कि उन्हें एसएमएस भी रैफर किया जा सकता था। अगर उन्हें समय पर इलाज मिल जाता तो उनकी जान बच सकती थी।
108 एबुलेंस स्टॉफ पर भी परिजनों ने आरोप लगाते हुए बताया कि उस वक्त जब उन्हे सिर पर गंभीर चोट लगी थी। एबुलेंस में उनकी हालत लगातार बिगड़ रही थी, तो उन्हें जयपुरिया अस्पताल की बजाय एसएमएस के ट्रोमा अस्पताल में लेकर जाना चाहिए था। जबकि उन्हें जयपुरिया अस्पताल ले गए जहां इमरजेंसी व्यवस्था नाकाफी है।