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जयपुर

छात्रों के पाठ्यक्रम में शामिल हो सामाजिक जिम्मेदारी की सिख

कोविड-19 ( COVID-19 ) ने बहुत सारे लोगों की आजीविका को बाधित कर दिया है। इस लिहाज से सबसे अधिक प्रभावित प्रशिक्षण और शिक्षा संस्थान ( education institutes ) हुए हैं। वहीं, महामारी ने न केवल सभी क्षेत्रों में लोगों के लिए कई अवसरों को बढ़ाया है और कामकाज के लिए नई भूमिकाएं भी पैदा की हैं। मौजूदा परिस्थितियों से खड़ी हुई खाई को पाटने के लिए कई उद्यमी ( Entrepreneurs ) आगे आए हैं और नए विचारों व नई अवधारणाओं के साथ माहौल को दुरुस्त करने में जुटे हुए हैं।

जयपुरJul 03, 2021 / 08:29 am

Narendra Singh Solanki

छात्रों के पाठ्यक्रम में शामिल हो सामाजिक जिम्मेदारी की सिख

छात्रों के पाठ्यक्रम में शामिल हो सामाजिक जिम्मेदारी की सिख

जयपुर। कोविड-19 ने बहुत सारे लोगों की आजीविका को बाधित कर दिया है। इस लिहाज से सबसे अधिक प्रभावित प्रशिक्षण और शिक्षा संस्थान हुए हैं। वहीं, महामारी ने न केवल सभी क्षेत्रों में लोगों के लिए कई अवसरों को बढ़ाया है और कामकाज के लिए नई भूमिकाएं भी पैदा की हैं। मौजूदा परिस्थितियों से खड़ी हुई खाई को पाटने के लिए कई उद्यमी आगे आए हैं और नए विचारों व नई अवधारणाओं के साथ माहौल को दुरुस्त करने में जुटे हुए हैं। महामारी ने ऐसे कई लोगों के लिए अवसरों का विस्तार किया है जो भेड़ चाल वाली नौकरियों की तलाश में नहीं थे। ऐसे लोग मानव जाति और समाज के लिए कुछ करने का उत्साह रखते थे और ऐसे कॅरियर की तलाश में थे जो मात्र रोजगार से बढ़कर हो। इसे सामान्य शब्दों में सामाजिक उद्यमिता कहा जाता है। एनजीओ, कॉरपोरेट, सरकारी निकाय और यहां तक कि निजी क्षेत्र भी ऐसे व्यक्तियों की तलाश में हैं, जो खुद को कार्यालय के माहौल की चहारदीवारी में सीमित नहीं रखना चाहते, बल्कि चुनौतीपूर्ण कार्य भूमिकाओं की तलाश में हैं, जो केवल लोगों से मिलते हैं बल्कि उनकी बेहतरी के लिए नेटवर्किंग करते हैं।
नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कहना है कि क्रॉस सेक्टर पार्टनरशिप के साथ डिजिटल स्किल डवलपमेंट प्रोग्राम के बारे में बड़े पैमाने पर चर्चा हो रही है। इसके अलावा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति और इसके नए मानदंडों ने भी इसमें कई निहितार्थ जोड़े हैं, जिन्होंने कौशल पर विशेष ध्यान देने के साथ पूरी प्रणाली को नया रूप दिया है। हालांकि, कोविड.-9 ने हमें यह अहसास दिलाया कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को ऐसे लोगों की आवश्यकता है, जो ‘मानवता की सेवाÓ करने की क्षमता रखते हैं और बदले में कोई अपेक्षा नहीं रखते। कई स्वयंसेवकों और व्यक्तियों के साथ-साथ कॉरपोरेट्स के लोग भी मुश्किल समय में मदद के लिए आगे आए। इस प्रकार, नियोक्ताओं सहित पूरी दुनिया ने महसूस किया कि इस समय ऐसे युवा व्यक्तियों की बहुत आवश्यकता है, विशेष रूप से जिनके पास अच्छे संचार, समस्या समाधान, सामाजिक-भावनात्मक कौशल जैसी सॉफ्ट स्किल्स हैं, साथ ही जो उद्यमशीलता की सोच भी रखते हैं।
संस्थान कौशल कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करें
संस्थानों को अब ऐसे कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो कौशल पर ध्यान केंद्रित करते हैं, विशेष तौर पर सॉफ्ट स्किल्स पर। जहां अधिकांश स्कूल किताबों के माध्यम से सिखाने की सैद्धांतिक विधि से चल रहे हैं, वे युवाओं को वास्तविक जीवन में पेश आने वाली स्थितियों में डालकर उनका विश्लेषण करें, युवाओं के समस्या सुलझाने के कौशल और क्षमताओं में सुधार करें। ऑफ.साइट जैसी चीजें अब अतीत का हिस्सा है, छात्रों को केस स्टडी या वास्तविक जीवन जैसी स्थितियों से अवगत कराया जाना चाहिए। जहां वे मानवता की सेवा करते हुए उन समस्याओं और चुनौतियों से दो से चार हों, जिनका समाज सामना कर रहा है।
उद्यमिता विकसित करने के लिए डिजिटल कौशल प्रशिक्षण
छोटे शहरों और गांवों में महिलाओं विशेष रूप से युवा लड़कियों और महिलाओं के बीच उद्यमिता विकसित करने के लिए डिजिटल कौशल प्रशिक्षण आयोजित किए जाए। विशेष रूप से युवा महिलाओं के लिए शिक्षक प्रशिक्षण जैसे कार्यक्रम विकसित हो। यह कार्यक्रम युवा महिलाओं को नेटवर्क बनाने और अपने करीबी दोस्तों और समुदाय की महिलाओं को उद्यमशीलता कौशल का सम्मान करने के लिए सिखाने पर केंद्रित होने चाहिए। हालांकि कुछ कंपनियों ने सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर ऐसा किया है, लेकिन जमीनी स्तर पर प्रशिक्षण देने के लिए ऐसे संगठनों का एक संघ बनाया जाना चाहिए। यह विशेष रूप से दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में किया जाना चाहिए, जो महिलाओं के लिए रोजगार पैदा करेगा और उन्हें सशक्तिकरण भी प्रदान करेगा।
महिलाओं और लड़कियों के लिए डिजिटल हॉबी कार्यक्रम
महिलाओं को मल्टी-टास्कर के रूप में जाना जाता है। ऐसे में, जब बच्चे इस महामारी के दौरान घर पर हैं, ऐसे कई कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जा सकता है, जो उनका शौक बढ़ाने में मदद करते हैं। ये उनमें उद्यमशीलता की भावना पैदा करने के साथ उन्हें सशक्त बनाने वाले छोटे उद्यम विकसित करने में मदद कर सकता है। उदाहरण के लिए, कौन घर का बना खाना पसंद नहीं करता, कौन कढ़ाई वाले कप नहीं चाहता या जो घर में बने हुए कागज का बना हुआ सामान पसंद नहीं करता। बच्चे जब अपने हाथों से चीजों को बनाने के लिए ढाले जाते हैं तो वे अपने जीवन और पैसे के मामलों को भी प्रबंधित करने में अधिक जिम्मेदार होंगे। इस तरह के कार्यक्रम निश्चित रूप से उन छात्रों के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं जो अभी भी शैक्षिक स्तर पर हैं और विशेष रूप से दिव्यांगों को सशक्त बनाने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है।
कई एनजीओ और सरकारी निकायों ने अपनी-अपनी योजनाओं को विकसित करके पहल की है। हालांकि, छात्रों को सही मॉडल के साथ जोडऩे और उन्हें वास्तविक जीवन के वातावरण के करीब लाने से निश्चित रूप से समाज के प्रति उनका दृष्टिकोण बदल सकता है। इस प्रकार, अब समय आ गया है कि शैक्षणिक संस्थानों के पाठ्यक्रम को वास्तविक जीवन के मामलों और मॉडलों के माध्यम से छात्रों को सामाजिक रूप से जिम्मेदार बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

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