फुलेरा निवासी 69 वर्षीय मरीज शिवकुमार के उपचार में इस तकनीक का उपयोग करते हुए वॉल्व इंप्लांट करने के लिए मरीज का सीना खोलने के बजाय पैर की नस से वॉल्व डाला गया। उपचार करने वाले चिकित्सकों ने बताया कि एसएमएस में इस तकनीक से यह दूसरा ऑपरेशन किया गया है। पहला ऑपरेशन फरवरी माह में किया गया था। उसके बाद मरीज अब स्वस्थ है।
ऑपरेशन टीम में शामिल एसएमएस मेडिकल कॉलेज के अतिरिक्त प्राचार्य डॉ. शशि मोहन शर्मा ने बताया कि उत्तर भारत के सरकारी अस्पतालों में इस तकनीक से ऑपरेशन केवल एसएमएस अस्प्ताल (
SMS Hospital ) में ही किए जा रहे हैं।
एसएमएस अस्पताल में यह ऑपरेशन शोध के तहत निशुल्क किया गया है। जिसका खर्चा निजी अस्पताल में करीब 20 लाख रुपए आता है। ऑपरेशन टीम में डॉ. सीबी मीणा और डॉ. सोहन शर्मा भी शामिल थे।
अभी तक यह तकनीक निजी अस्पतालो में उपलब्ध थी, जहां इसका करीब 25 लाख रुपए खर्च था। एसएमएस में फिलहाल इसका खर्च करीब आधा 13 लाख रुपए है। डॉक्टरों का यह भी दावा है कि तकनीक के आगे बढऩे के साथ साथ एसएमएस में यह और भी सस्ता होगा।
कॉलेज प्राचार्य डॉ.सुधीर भंडारी और अतिरिक्त प्राचार्य डॉ. शशि मोहन शर्मा ने बताया कि मरीज को लगाया गया वॉल्व स्वदेशी है। आमतौर पर विदेशी वॉल्व की कीमत करीब 20 लाख रुपए होती थी। जिसके निजी अस्पताल में करीब 25 लाख रुपए तक वसूल किए जा रहे थे।