दरअसल, स्मार्ट सिटी का काम मानकों के अनुरूप हुआ ही नहीं। कभी अधिकारियों ने तो कभी माननीयों ने अपने मन की की। इस कारण कई प्रोजेक्ट को सरकार ने रोक दिया तो कुछ प्रोजेक्ट पर कोर्ट ने फटकार लगाई। 800 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी परकोटा जस का तस है।
डेढ़ वर्ष में काम दे गया जवाब
-चांदपोल बाजार में बरामदों की मरम्मत का काम जनवरी, 2022 में पूरा हुआ। यहां स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत डेढ़ करोड़ रुपए खर्च किए। अब कई जगह प्लास्टर उखड़ गया है और दरारें आ गई हैं। इसके अलावा प्रमुख बाजारों के बरामदों की मरम्मत पर 14 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए हैं।
– परकोटे के नौ बाजारों में फसाड वर्क भी करवाया गया। इस पर 7.66 करोड़ रुपए खर्च हुए, जबकि फसाड वर्क अक्टूबर, 22 में पूरा हुआ है।
खास-खास
-11 वें स्थान पर है जयपुर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट मामले में देश भर में
-02 नम्बर पर है राज्य में जयपुर, उदयपुर पहले स्थान पर
-800 करोड़ रुपए के काम हो चुके हैं
-200 करोड़ रुपए के काम अभी प्रगति पर
-जून, 2024 तक सभी निर्माण कार्यों को करना है पूरा
इनका मिल रहा फायदा
-रूफटॉप सोलर प्लांट का पांच चरणों में काम हुआ है। इससे अब तक 10 करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित किया जा चुका है।
-चौगान स्टेडियम, जयपुरिया अस्पताल और चांदपोल अनाज मंडी भूमिगत पार्किंग का लोगों को फायदा मिल रहा है।
-दरबार स्कूल को आधुनिक बनाया गया है। इस सत्र यहां पढ़ाई शुरू होगी।
-महाराजा लाइब्रेरी को करीब सवा करोड़ रुपए से आधुनिक बनाया गया है। कई किताबों को भी डिजिटल मोड पर ले जाया गया है।
-गणगौरी अस्पताल विस्तार और किशनपोल बाजार में कन्या विद्यालय का भी काम हो रहा है।
सीधे कोई फायदा नहीं
-चांदपोल और किशनपोल बाजार में स्मार्ट रोड के नाम पर 90 करोड़ रुपए खर्च हुए। किशनपोल बाजार में बरामदे होने के बाद भी यहां फुटपाथ बनाया। इससे सड़क संकरी हो गई।
-पर्यटन स्थल और भीड़ भरे बाजारों में 50 स्मार्ट टॉयलेट लगाए गए। इन पर करीब चार करोड़ रुपए खर्च हुए। लेकिन अब इनमें से ज्यादातर खराब हैं।- साइकिल ट्रैक के लिए जगह नहीं तलाश पाए अधिकारी
स्मार्ट टॉयलेट को निगम को हैंडओवर कर चुके। रखरखाव का काम उनका है। वहीं, बरामदों की बात करें तो उस समय जहां खराब िस्थति थी, उनकी मरम्मत करवाई गई थी। यदि कहीं खराब भी हो गए हैं तो उनको पुन: सही करवाया जाएगा।-दिनेश चंद गोयल, अधीक्षण अभियंता, स्मार्ट सिटी