पारोली कस्बे की अनोखी परंपरा, रावण को जलाते नहीं तोड़ते राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के पारोली कस्बे में रावण का वध एक अनोखी परंपरा के तहत किया जाता है। यहाँ दस फीट के सीमेंट के रावण को तोड़कर उसकी हार का जश्न मनाया जाता है। जो इस त्योहार को विशेष बनाता है।
अनोखा रावण दहन, दहशरे से पहले ही जला देते हैं जयपुर के रेनवाल कस्बे में दशहरा से पहले, अष्टमी पर रावण का दहन किया जाता है। यह परंपरा दुनिया में अद्वितीय है, जो इस कस्बे को खास बनाती है। यहां परंपरा कई सालों से निभाई जा रही है।
महिषासुर का दहन, ब्यावर की अनोखी परंपरा राजस्थान के ब्यावर शहर के विजय नगर कस्बे में रावण नहीं बल्कि महिषासुर का पुतला जलाया जाता है। यह रावण दहन से भिन्न एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक पहलू है। रावण से भी बड़ा बुरा राक्षस महिषासुर को माना जाता है।
झुंझुनूं की बंदूक परंपरा, चार सौ साल से चल रही झुंझुनूं जिले के उदयपुरवाटी कस्बे में चार सौ साल पुरानी परंपरा के तहत रावण और उसकी सेना पर बंदूके चलाई जाती थीं। लेकिन हाल ही में इस परंपरा पर बैन लगा दिया है। इसके पीछे कानून बंदोबस्त बिगड़ने की संभावना जताई गई है।
जोधपुर में रावण की पूजा, एक अमर परंपरा जोधपुर के मंडोर कस्बे में रावण और उसकी पत्नी मंदोदरी की पूजा की जाती है। यहाँ रावण को जमाई मानकर पूजा जाता है, जो इस त्योहार के महत्व को और बढ़ाता है। मंडोर मे रावण और उनकी पत्नी के फेरे हुए थे।
प्रताप नगर में रखी जाती है रावण की तीये की बैठक जयपुर जिले के प्रताप नगर कस्बे में भी एक अनोखी परंपरा है । जहां रावण के वध के बाद तीये की बैठक की जाती है और साथ ही किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद किए जाने वाले तमाम कार्य विधी विधान से होते हैं। रावण को बेहद विद्धान माना जाता है।