जयपुर में रहने वाले सिंधी ब्रह्म खत्री समाज के लोग माता को कुलदेवी के रूप में पूज रहे हैं। समाज के 1500 से अधिक परिवार के लिए माता आस्था का केन्द्र बनी हुई है। इसके साथ ही राजपूत समाज के लोग भी माता को कुलदेवी के रूप में पूज रहे हैं। वर्तमान में मंदिर की व्यवस्था स्वामी लीला शाह धार्मिक ट्रस्ट देख रहा है।
नवरात्र में होती विशेष पूजा-अर्चना
ट्रस्ट अध्यक्ष दुर्गादास खूहा के अनुसार नवरात्र में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है। मंदिर में नवरात्र के समय विशेष पूजा-अर्चना होती है। कुछ श्रद्धालु प्रतिदिन माता के दर्शन करने आते हैं और सुबह व शाम की आरती में शामिल होते हैं। लोग पैदल चलकर भी माता के दरबार में आते है। नवरात्र में यहां मालवीय नगर, मानसरोवर, सांगानेर, प्रतापनगर से पदयात्राएं आती है।
मार्च 2000 में हुई माता की प्राण प्रतिष्ठा
सिंधी कॉलोनी में 5 मार्च, 2000 में हिंगलाज माता की प्राण प्रतिष्ठा करवाई गई। ट्रस्ट के पुरुषोत्तम मंघवाणी ने बताया कि पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत भी हिंगलाज माता की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में शामिल हुए थे। इसके बाद मंदिर का विस्तार होता गया। मंदिर में पाकिस्तान के बलूचिस्तान की हिंगलाता माता की तस्वीर भी है, जिसके लोग दर्शन कर रहे हैं। इसके अलावा मंदिर में शिव परिवार, रामपीर, हनुमानजी और लीलाधर महाराज की भी सेवा—पूजा हो रही है।
छठ का भरता मेला
हिंगलाज माता मंदिर में साल में कई उत्सव—पर्व मनाए जाते है। मंदिर के लालचंद कमलाणी ने अनुसार साल के दो बड़े नवरात्र में विशेष आयोजन होते है, यहां छठ का मेला भरता है, वहीं पौष माह में पौष बड़ा महोत्सव का आयोजन होता है। नवरात्र में डांडिया उत्सव भी होता है। इस दौरान भजन—सत्संग का आयोजन भी होता है। अष्टमी व नवमी को मंदिर में हवन और प्रसादी का आयोजन भी होता है।
सुबह 6 बजे खुलते है मंदिर के पट
हिंगलाज माता के पट सुबह 6 बजे खुलते है, माता रानी के दर्शन सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक होते है, वहीं शाम 5 बजे से रात 9 बजे तक मंदिर खुला रहता है। इस बीच सुबह 7 बजे और शाम 6 बजे माता की आरती होती है। रात को 8.30 बजे शयन आरती होती है।
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तीन बार लगाता माता को भोग
हिंगलाज माता के दिन में तीन बार भोग लगता है। मंदिर पुजारी कैलाश बहुगुणा ने बताया कि सुबह 10 बजे मिठाई और फलों का भोग लगता है, वहीं दोपहर 12 बजे दाल, चावल, रोटी व सब्जी का भोग लगाया जाता है, जबकि शाम 6.30 बजे माता को दूध का भोग लगाया जाता है। बहुगुणा बताते है कि मंदिर में भक्तों को पुलाव प्रसाद बांटा जाता है।