यह भी पढें : एमपी से जयपुर आते, पूजा पाठ करते, फिर वारदात कर दिल्ली भाग जाते एसीबी आईजी सचिन मित्तल ने बताया कि परिवादी पुलिस में सिपाही पद कार्यरत है। वह हाल में हाईकोर्ट के एक जज का गनमैन है। पीडि़त ने यह शिकायत दी कि उसके भतीजे की बहू ने उसके बडे़ भाई, भतीजा और परिजन के खिलाफ दहेज उत्पीडऩ का मामला सामोद थाने में दर्ज कराया था। मुकदमे में कहने को वह नामजद नहीं है लेकिन उसे अन्य में शामिल कर अब नामजद किया जा रहा है।
यह भी पढें : किसने बनाए बांग्लादेशियों के स्थानीय पहचान पत्र इस पर पीडि़त गोविंदगढ़ सर्किल के प्रोबेशनर आरपीएस महावीर प्रसाद चोटिया से मिला। महावीर प्रसाद ने उससे कहा कि पीडि़ता के 164 के बयानों में उसका नाम निकाल देगा। इतना ही नहीं पीडि़ता जल्द ही अलग से छेड़छाड़ का मुकदमा दर्ज कराने वाली है। यदि वह 1.50 लाख रुपए दे देगा तो दोनों मुकदमों से बच जाएगा। नहीं तो मुकदमा दर्ज होने से उसकी नौकरी पर आ जाएगी। पीडि़त सिपाही की शिकायत को एसीबी जयपुर ग्रामीण के एएसपी नरोत्तम वर्मा से सत्यापन कराया तो शिकायत सही मिली।
यह भी पढें : पति के बाद अनामिका ने भी ली दीक्षा, बनी साध्वी अनाकारश्री, भाई-भाभी ने लिया इभ्या को गोद साहब मेरी सुनो, मैंने कुछ गलत नहीं कियाएसीबी एएसपी नरोत्तम वर्मा के नेतृत्व में इंस्पेक्टर रामसिंह, इंस्पेक्टर बृजपाल सिंह की टीम ने चौमूं से रींगस तक पीडि़त की गाड़ी में बैठे प्रोबेशनर आरपीएस महावीर प्रसाद चोटिया का पीछा किया। जब रिश्वत की रकम लेकर महावीर पीडि़त सिपाही की कार से उतरे तो एसीबी ने उसे घेर लिया। यह देख महावीर सकपका गया। कहने लगा कि साहब, एक बार मेरी सुनो। मैं गलत नहीं हूं। मुझे फंसाया जा रहा है। जब उससे 1.10 लाख रुपए जब्त होने के बारे में पूछा तो चुप रह गया।