जयपुर में मीडिया से बातचीत करते हुए सचिन पायलट ने कहा कि राज्य सरकार के एक साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन इस दौरान लिए गए कई फैसलों से जनता में आक्रोश पैदा हुआ है। उन्होंने इंग्लिश मीडियम स्कूलों को बंद करने के प्रयास और जिलों को खत्म करने जैसे फैसलों को जनता के खिलाफ बताया।
उन्होंने कहा कि हम सदन में इन सभी मुद्दों पर सरकार से जवाब मांगेंगे। राज्य सरकार के फैसले धरातल पर नहीं उतर पा रहे हैं। मंत्री कुछ और चाहते हैं, लेकिन सरकार किसी ठोस निर्णय पर नहीं पहुंच रही।
सरकार पूरी तरह कंफ्यूज- पायलट
सचिन पायलट ने सब-इंस्पेक्टर भर्ती को लेकर सरकार पर भ्रम की स्थिति का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार इस पर स्पष्ट रुख नहीं अपना रही। मंत्री परीक्षा रद्द करने के पक्ष में हैं, लेकिन सरकार का कोई निर्णय नहीं आ रहा। इस सरकार के सभी फैसले दिल्ली से आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सत्ताधारी पार्टी के विधायक ही अपने आप को असहाय महसूस कर रहे हैं। यह अभ्यर्थियों और जनता के साथ अन्याय है। कहा कि सरकार पूरी तरह कंफ्यूज है, मंत्री कह रहे हैं रद्द करवाएंगे, सरकार कह रही है रद्द नहीं कर सकते हैं…सरकार के भीतर गतिरोध चल रहा है उसका परिणाम जनता को भुगतना पड़ रहा है।
कांग्रेस के नए मुख्यालय पर प्रतिक्रिया
इस दौरान सचिन पायलट ने कांग्रेस के नए मुख्यालय के उद्घाटन को पार्टी के लिए एक नई शुरुआत बताया। उन्होंने कहा कि 15 जनवरी को खड़गे जी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी इसके उद्घाटन करेंगे। 2025 कांग्रेस के लिए संगठनात्मक मजबूती का साल होगा, क्योंकि इस साल कोई चुनाव नहीं है। पूरा ध्यान संगठन को मजबूत बनाने पर रहेगा।
एक देश एक चुनाव पर सरकार को घेरा
एक देश एक चुनाव योजना और परिसीमन के मुद्दे को पायलट ने केंद्र सरकार का भटकाने का प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि सरकार के पास इसे लागू करने का रोडमैप नहीं है। बहुमत न होने के कारण यह संसद में पारित नहीं हो सकता। यह महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसे असल मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास है। उन्होंने परिसीमन पर देरी को लेकर भी सवाल उठाया और कहा कि जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल खत्म होने के बाद अधिकारियों को नियुक्त करना जनता के मुद्दों की अनदेखी है।
बिधूड़ी के बयान पर साधा निशाना
भाजपा नेता रमेश बिधूड़ी की प्रियंका गांधी पर विवादित टिप्पणी की निंदा करते हुए पायलट ने कहा कि यह बयान बेहद निंदनीय है। भाजपा नेतृत्व ने इस पर चुप्पी साध रखी है। न तो माफी मांगी गई, न ही बयान से दूरी बनाई गई। यह राजनीति के गिरते स्तर को दर्शाता है।