चमकदार सींग के साथ सजे-धजे नागौरी बैलों की जोड़ियां पशुपालकों व व्यापारियों को आकर्षित कर रही हैं। इनकी खरीद-फरोख्त के लिए महाराष्ट्र के औरंगाबाद, पंजाब एवं उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर से व्यापारी मेले में आए हैं। मेले में भड़ाना गांव से नागौर बैलों की जोड़ी लेकर आए पशुपालक जगदीश के बैलों की एक जोड़ी करीब ढाई लाख रुपए की है।
जगदीश ने बताया कि नागौरी बैल भार वाहन क्षमता में बेहतर होने के साथ ही दौड़ में भी इनका प्रदर्शन काफी शानदार रहता है। उसके बैलों की उम्र महज तीन साल है। इसी गांव के दशरथ के पास भी नागौरी बैलों की शानदार जोडिय़ां हैं। इनमें से एक जोड़ी दो लाख रुपए की है। नागौरी बैलों की सेहत बनाए रखने के लिए इनकी डाइट भी विशेष होती है। वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डॉ. मूलाराम जांगू ने बताया कि मेले में अब तक 1448 पशु पहुंच चुके हैं। इनमें गोवंश 744, ऊंटवंश 682 एवं भैंस वंश 22 शामिल हैं।
कठपुतली का खेल देखने उमड़े पशु पालक
मेले में छोटी खाटू से आई ग्यारसी देवी ने सोमवार को कठपुतली का खेल दिखाया। कठपुतलियों के माध्यम से राजस्थानी लोकनृत्य एवं लोककथाओं का मंचन किया गया। इसे देख पशुपालकों को अपना पुराना समय याद आ गया। पशु पालकों का कहना था कि अब इस तरह के खेल ग्रामीण क्षेत्रों में भी कम ही नजर आते हैं। कठपुतलियों के नृत्य से उनके चेहरों पर उत्साह नजर आया।
ऊंट के शरीर पर ही बना दी कलाकृति
पशु मेला मैदान में सोमवार को पहुंचा ऊंट आकर्षण का केन्द्र रहा। ऊंट के पूरे शरीर पर राजस्थानी संस्कृति की झलक दिखाती कलाकृतियां उकेरी गई थी। यह उस्ता कला कहलाती है। ऊंट पालक मोहन सिंह ने बताया कि वह पिछले पंद्रह साल से मेले में अपने ऊंट लेकर आ रहा है। ऊंट के शरीर पर घोड़ों पर सवार राजा, हाथी, हरिण, विभिन्न प्रकार के पक्षी, वन्य जीवों के साथ विचरण करता ग्रामीण, रेगिस्तान की जीवन शैली को दर्शाते चित्र बने हुए थे। मोहन सिंह ने बताया कि वे खुद यह चित्र बनाते हैं। उन्होंने बताया कि भित्ति शैली में इस तरह की पेन्टिंग्स ज्यादातर राजस्थानी घरों में बनाई जाती है।
मेले में पहुंच रहे पशुओं की चिकित्सकीय जांच
मेला में पहुंचने वाले सभी पशुओं की चिकित्सकीय जांच अनिवार्य कर दी गई है। हालांकि मेले में पहुंचे सभी पशुपालकों के पास अपने-अपने पशुओं के फिटनेस प्रमाणपत्र मौजूद हैं। इसके बाद भी पशु पालन विभाग की ओर से एहतियातन टीम लगाकर पशुओं की चिकित्सकी जांच कराई जा रही है।
आठ रुपए में मिल रहा भोजन
रामदेव पशु मेला मैदान में सोमवार को इंदिरा रसोई लगाई गई। रसोई में आठ रुपए थाली में भोजन मिल रहा है। विभाग की ओर से इंदिरा रसोई की जानकारी पशु पालकों तक पहुंचाई जा रही है , ताकि वे अनावश्यक खर्चो से बच सकें। इंदिरा रसोई संचालक को भी स्पष्ट रूप से समझा दिया गया है कि वह प्रति पशुपालक आठ रुपए थाली के हिसाब से ही पैसा लेगा।
सरस डेयरी भी स्थापित
पशु मेला मैदान में सरस डेयरी का बूथ भी लथाया गया है। इसमें दूध, दही, छाछ आदि मिलेगा। पशुपालन विभाग के अनुसार पशुपालकों के लिए यह डेयरी विशेष तौर पर खुलवाई गई है। ताकि इनको दूध उत्पादों की खरीद के लिए अनावश्यक रूप से बाजार का चक्कर न लगाना पड़े।