scriptRajasthan: बिजली तंत्र सुधारने के नाम पर 237 करोड़ का घोटाला! अपने चहेतों को अधिक रेट पर सौंपा काम | Rajasthan Scam of 237 crore in name of improving the electricity system Work assigned at 246 percent higher rate | Patrika News
जयपुर

Rajasthan: बिजली तंत्र सुधारने के नाम पर 237 करोड़ का घोटाला! अपने चहेतों को अधिक रेट पर सौंपा काम

राजस्थान में बिजली तंत्र सुधारने के नाम पर पूर्ववर्ती सरकार ने अपने चहेतों को काम सौंपा।

जयपुरSep 29, 2024 / 07:55 am

Lokendra Sainger

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बिजली तंत्र को सुदृढ़ करने के नाम पर 237 करोड़ रुपए का घोटाला किया गया है। प्रदेश में 42 जीएसस (ग्रिड सब स्टेशन) बनाने के नाम पर यह चपत लगाई गई। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के अंतिम समय में जारी निविदा घोटाले की स्क्रिप्ट लिखी गई। इसमें डिस्कॉम के अफसरों और अनुबंधित कंपनी की मिलीभगत सामने आई है। चहेती फर्म को ही काम मिले, इसके लिए न केवल निविदा में विशेष शर्त जोड़ी गई। बल्कि 246 प्रतिशत अधिक रेट पर काम सौंप दिया। बिडमूल्यांकन कमेटी ने भी सही आंकलन करने की बजाय आंख बंद कर ली। डिस्कॉम की उच्चस्तरीय कमेटी की जांच रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।

नेताओं ने बनाया दबाव

गंभीर यह है कि जांच रोकने के लिए कुछ बड़े नेताओं ने दबाव बनाया। इन नेताओं का कार्यक्षेत्र दूदू से शुरू होकर दौसा, सवाईमाधोपुर तक है। दो महीने तक जांच रिपोर्ट दबा दी गई। निर्माण कार्य तत्काल रोकने की बजाय चलने दिया। इस मामले में भाजपा सरकार अब बड़े एक्शन की तैयारी में है।
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एसीबी ने मांगी थी रिपोर्ट

एसीबी ने दर्ज परिवाद के आधार पर डिस्कॉम के प्रबंध निदेशक से फरवरी में तथ्यामक रिपोर्ट मांगी। इसके बाद कमेटी गठित कर जांच शुरू हुई। रिपोर्ट दो माह पहले सौंपी जा चुकी है, लेकिन उच्चाधिकारी दबाए बैठे रहे।

जांच कमेटी की रिपोर्ट में खुलासा….

  1. शिकायत एक स्पेशल शर्त बूट मॉडल (बिल्ड ऑन ऑपरेट ट्रांसफर) की लगाई गई।
निष्कर्ष: इस विशेष शर्त के कारण निविदा में प्रतिस्पर्धा कम कर दी गई, जो आरटीटीपी एक्ट का उल्लंघन है।
  1. शिकायत अफसरों ने प्री- बिड मीटिंग किए बिना ही निविदा जारी कर दी।
निष्कर्ष: प्री-बिड मीटिंग 10 अगस्त 2023 को रखी, लेकिन रि-टेंडर होने के बावजूद ऐसा नहीं किया गया।

  1. शिकायत एकल बिड होने के बावजूद फर्म को कार्यादेश दे दिया।
निष्कर्ष : एकल बिड में रेट भी ज्यादा थी, एक्ट के नियमों के तहत कॉर्पोरेट लेवल कमेटी ने समुचित निर्णय नहीं किया। ज्यादा दर पर कार्यादेश दे दिया।
  1. शिकायत 20 जीएसएस का काम कराना था, लेकिन मिलीभगत से 22 जीएसएस का कार्यादेश जारी कर दिया।
निष्कर्षः एक निविदा में 20, दूसरी निविदा में 22 जीएसएस निर्माण का काम दिया।

एक ही काम को दो हिस्सों में बांटा

सभी जीएसएस के निर्माण के लिए एक ही टेंडर लगाया जा सकता था, लेकिन चहेती कंपनी आर. सी. एंटरप्राइजेज को काम मिलने की संभावना कम होती । इसलिए मिलीभगत कर दो अलग-अलग टेंडर निकाले गए।

अधिकारियों के जवाब

ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आलोक से मामले की वस्तुस्थिति पूछी तो उन्होंने इस मामले में बातें करने से ही मना कर दिया। फिर मोबाइल पर एसएमएस भेजा तो डिस्कॉम्स सीएमडी आरती डोगरा से बात करने के लिए कहा। सीएमडी आरती डोगरा से बात की, उन्होंने मामले से अनभिज्ञता जताई।

अफसरों को भेजा था शिकायती पत्र

इस मामले में शिकायत आई थी, जिसे जांच के लिए उच्चाधिकारियों को भेजा था। मुझे अभी तक जांच रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है गड़बड़ी हुई है तो दोषियों पर एक्शन होगा। किसी भी सूरत’ भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं होगा।- हीरालाल नागर, ऊर्जा मंत्री

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