फोरेस्ट एक्ट और फोरेस्ट कन्वर्सेशन एक्ट में यानि जंगलों कों नुकसान पहुंचाने मंे हम देश में तीसरे हैं। सबसे आगे उत्तर प्रदेश है जहां पर एक साल में 1328 केस दर्ज हुए हैं पुलिस थानों में। फिर झारखंड है जहां पर 265 केस हैं और फिर राजस्थान है जहां पर 235 केस सामने आए हैं एक साल में।
जंगली जानवरों को मारने और उनके परेशान करने के मामले में भी राजस्थान का स्तर अच्छा नहीं है। वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत दर्ज केसेज में करीब बीस फीसदी राजस्थान के हैं। एक साल में पूरे देश में 579 केस दर्ज हुए हैं। इनमें 203 यूपी से हैं और 106 केस राजस्थान से हैं। उसके बाद अन्य राज्यों का नंबर आता है। ये केस तो वो हैं जो दर्ज हुए हैं पुलिस थानों में, जबकि कई गुना केस तो दर्ज ही नहीं हो पाते हैं।
हवा और पानी खराब करने के जो मामले देश भर के पुलिस थानों में दर्ज हुए हैं एक साल में उनकी संख्या होने को तो सिर्फ 55 है, लेकिन इन 55 केस में भी सबसे बड़ा हिस्सा राजस्थान का है। यहां पर एक साल में 19 केस दर्ज हुए हैं जहां पर बड़ी मात्रा मंे हवा और पानी को दूषित किया गया है।
शहर हो या गांव…. ध्वनि प्रदूषण के जरिए पर्यावरण को खराब करने के मामलों मंे हम पूरे देश में सबसे आगे हैं एक साल में ध्वनि प्रदूषण के 7217 केस दर्ज हुए हैं देश में, इनमें से 7163 केस राजस्थान में दर्ज हुए हैं। गुटखा, तंबाकू और सिगरेट के केस के मामलों मंे भी हम टॉप तीन में हैं देश में। 46000 केस तमिलनाडु में, 2600 केस केरल में और 1800 केस राजस्थान में एक साल के दौरान दर्ज किए गए हैं।