लेकिन सेवा निवृति के समय प्रार्थी की पूर्व की सेवाओं की गणना सेवानिवृत्ति लाभ देने के लिए नही की गई। इसके अतिरिक्त सेवानिवृत्ति के लगभग 7 वर्ष बाद वसूली की कार्यवाही प्रारम्भ कर दी गई तथा प्रार्थी से अवैध रूप से वसूली की गई। जिससे व्यथित होकर प्रार्थी ने राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर में याचिका प्रस्तुत की।
प्रार्थी के अधिवक्ता हितेष बागड़ी ने न्यायालय को बताया कि प्रार्थी केशोराय पाटन शुगर मिल्स में स्थाई कर्मचारी था। वह CPF स्कीम सदस्य था। प्रतिनियुक्ति व समायोजन के पश्चात् प्रार्थी पंचायती राज विभाग का स्थाई कर्मचारी हो गया। चूंकि केशोराय पाटन शुगर मिल्स सरकार का ही उपक्रम है। ऐसी स्थिति में नियमानुसार प्रार्थी की पूर्व की सेवा की गणना सेवानिवृति लाभ के लिए किया जाना विभाग की जिम्मेदारी थी। जबकि विभाग ने प्रार्थी के खिलाफ अवैध वसूली की कार्यवाही की। न्यायालय ने प्रार्थी के अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए पंचायती राज विभाग को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश पारित किए।