‘राज्य से आता है न्यायपालिका का बजट’
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा लोग सोचते हैं कि ये बैठकें क्यों होती हैं। हमारी राजनीतिक व्यवस्था की परिपक्वता इस बात में निहित है कि राजनीतिक वर्ग में भी न्यायपालिका के प्रति काफी सम्मान है। यह सर्वविदित है। न्यायपालिका का बजट राज्य से आता है। यह बजट न्यायाधीशों के लिए नहीं है। हमें नए न्यायालय भवनों, जिलों में न्यायाधीशों के लिए नए आवासों की आवश्यकता है। इसके लिए मुख्य न्यायाधीश और मुख्यमंत्री की बैठकें आवश्यक हैं।
बैठकों में एजेंडा तय होता है
उन्होंने कहा कि वे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके हैं। जब मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति होती है तो वे सीएम के घर जाते हैं। फिर सीएम मुख्य न्यायाधीश के घर आते हैं। इन बैठकों में एजेंडा तय होता है। मान लीजिए प्रदेश में 10 प्रोजेक्ट चल रहे हैं, इंफ्रास्ट्रक्चर क्या है, बजट क्या है? सीएम इन प्रोजेक्ट की प्राथमिकताएं बताते हैं। क्या इसके लिए आपको मिलना नहीं पड़ेगा? अगर यह सब चिट्ठियों पर ही होता रहा, तो काम कभी पूरा नहीं होगा।
‘न्यायिक कार्य पर नहीं पड़ता असर’
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि राजनीतिक व्यवस्था में काफी परिपक्वता है। इन बैठकों के दौरान सीएम कभी भी किसी लंबित मामले के बारे में नहीं पूछते। 15 अगस्त और 26 जनवरी को शादी या शोक के अवसर पर सीएम और मुख्य न्यायाधीश एक-दूसरे से मिलते हैं, इससे न्यायिक कार्य पर कोई असर नहीं पड़ता। लोग पूछते हैं कि क्या सौदे हो रहे हैं। यह एक मजबूत संवाद का हिस्सा है।
संजय राउत ने उठाया था सवाल
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने इस पर सवाल उठाया था और कहा कि देखिए, गणपति उत्सव है। प्रधानमंत्री अब तक कितने लोगों के घर गए हैं? मुझे इसकी जानकारी नहीं है। दिल्ली में कई जगहों पर गणेश उत्सव मनाया जाता है, लेकिन प्रधानमंत्री मुख्य न्यायाधीश के घर गए और प्रधानमंत्री और मुख्य न्यायाधीश ने मिलकर आरती की। भगवान के बारे में हमारा ज्ञान ऐसा है कि अगर संविधान के रक्षक इस तरह से राजनीतिक नेताओं से मिलते हैं, तो लोगों को संदेह होता है।