राजस्थान में पूर्ववर्ती सरकार की ओर से 19 नए जिले और तीन संभागों का गठन किया गया था। जिसे पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने समय की जरूरत करार दिया था। उनका कहना था कि राजस्थान का क्षेत्रफल काफी बड़ा है, ऐसे में कई जगह लोगों को स्वास्थ्य और प्रशासनिक कामकाज के लिए जिले तक जाना पड़ता है। जिसके लिए बहुत लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।
वहीं, प्रदेश में सरकार बदलने के बाद नए जिलों पर संकट के बादल मंडराने लगे। भजनलाल सरकार का मानना है कि पूर्ववर्ती सरकार ने यह फैसला जल्दबाजी में लिया। जिसके चलते इन जिलों के गठन के दौरान काफी खामियां रह गई। जिसके लिए सरकार ने कमेटी गठित की है। हालांकि नए जिलों को लेकर अभी भी संशय की स्थिति बनी हुई है।
उच्च स्तरीय समिति गठित
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी ललित के पंवार की समिति के गठन को मंजूरी दी थी। यह उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा को रिपोर्ट सौंपेगी। हाल ही में समिति के संयोजक और उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने पंवार की अध्यक्षता में गठित कमेटी को 15 दिन के भीतर नए जिलों के गठन को लेकर की गई सिफारिशों की समीक्षा कर रिपोर्ट मांगी है।
इससे पहले भजनलाल सरकार ने नए जिलों की समीक्षा के लिए उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा के नेतृत्व में एक उपसमिति गठित की थी। जिसमें जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री कन्हैयालाल चौधरी, राजस्व मंत्री हेमंत मीना शामिल है।
डिप्टी सीएम ने 15 दिन में मांगी रिपोर्ट
बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में बैरवा ने कहा था कि कहीं किसी राजनीतिक दबाव में तो नए जिलों की सिफारिश नहीं की गई थी। वास्तविक तौर पर कहां जिला बनाने की जरूरत थी और उसके लिए कितना क्षेत्रफल होना चाहिए था। जनता को इससे क्या फायदा होने वाला था। इन तमाम चीजों को ध्यान में सब समेटी अपना काम कर रही है। बैठक में मंत्री हेमंत मीणा और कन्हैयालाल चौधरी भी मौजूद रहे।
इन 19 जिलों पर मंडराया संकट
जो सीमांकन और आबादी के लिहाज से पैमाने पर पैमाने पर फिट नहीं बैठ रहे है। ऐसे में उन नवीन जिलों पर गाज गिर सकती है। इनमें अनूपगढ़, बालोतरा, ब्यावर, डीग, डीडवाना-कुचामन, दूदू, फलौदी, गंगापुर सिटी, जयपुर शहर, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर शहर, जोधपुर ग्रामीण, केकड़ी, कोटपूतली-बहरोड़, खैरथल-तिजारा, नीमकाथाना, सलूम्बर, सांचौर, शाहपुरा (भीलवाड़ा) शामिल है।