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कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को तलब कर पूछा कि क्या अधिकारी राजनीतिक पार्टियों के दबाव में काम कर रहे हैं? यदि ऐसा नहीं है तो शहर में धरना-प्रदर्शन व रैली के लिए स्थान तय होने के बावजूद बीच शहर रैली निकालने की अनुमति कैसे दी गई। कोर्ट ने गुरुवार को फिर सुनवाई रखी है।
न्यायाधीश समीर जैन ने बुधवार को स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेकर इस मामले पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान अदालती आदेश की पालना में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त राहुल प्रकाश व कुंवर राष्ट्रदीप, पुलिस उपायुक्त (यातायात) प्रहलाद कृष्णियां, पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) योगेश गोयल हाजिर हुए। कोर्ट ने डीसीपी गोयल से पूछा कि क्या सरदार पटेल मार्ग पर रैली निकालने की अनुमति है? गोयल के इनकार करने पर कोर्ट ने सवाल किया कि फिर यहां की अनुमति कैसे दी गई।
आपके अनुमति पत्र की शर्त में लिखा है कि रैली के दौरान आम रास्ता जाम नहीं होना चाहिए। क्या आपको पता नहीं था कि इस तरह की रैलियों के लिए यह असंभव बात है। इस तरह के आचरण को देखते हुए हम क्यों न अधिकारियों को सस्पेंड करने और संबंधित अधिकारी के खिलाफ स्वप्रेरणा से अवमानना कार्रवाई शुरू कर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दें।
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रैली निकालने का अधिकार, पर पहले जनहित
कोर्ट ने कहा कि रैली निकालने का अधिकार है, लेकिन यह शहर के बीच नहीं निकाली जा सकती। सबसे पहले आम जनता का हित है, लेकिन जाम ने कई घंटों तक लोगों को सडक़ों पर फंसे रहने को मजबूर कर दिया। आम रास्ते का उपयोग रैली के लिए नहीं किया जा सकता। अदालत ने पुलिस अधिकारियों को कहा कि वे अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं। बच्चों को स्कूल से घर पहुंचने के लिए दो घंटे का इंतजार करना पड़ा, आप जनता के सेवक हैं या राजनीतिक पार्टियों के?