न्यायाधीश पंकज भंडारी और न्यायाधीश शुभा मेहता की खंडपीठ ने आरएएस परिषद व प्रशासनिक सेवा के 22 अधिकारियों की याचिका पर यह आदेश दिया। कोर्ट ने माना कि याचिका व्यक्तिगत हितों के चलते दायर की गई। कोर्ट ने 26 नवम्बर को सुनवाई पूरी कर ली थी। कैट ने 12 मार्च 21 को नॉन एससीएस की आइएएस में पदोन्नति को चुनौती देने वाले प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया था, जिसे याचिका में चुनौती दी गई थी। इसके आधार पर नॉन एससीएस की पदोन्नति पर जुलाई 2023 में रोक लगा दी थी जो अब हटा दी है।
याचिकाकर्ता पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर एन माथुर, अधिवक्ता तनवीर अहमद व अन्य ने कोर्ट को बताया कि गैर सिविल सेवा के अधिकारियों को विशेष परिस्थिति में ही आइएएस में पदोन्नत किया जा सकता है। पदोन्नति के लिए नॉन एससीएस की उत्कृष्ट योग्यता के बजाय केवल एसीआर देखी जा रही है। अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने कहा कि सरकार नियमानुसार नॉन एससीएस से आइएएस में प्रमोशन कर रही है।
पदोन्नति से भरे जाने वाले आइएएस के 15 प्रतिशत पदों के लिए नॉन एससीएस अधिकारियों के नाम की अनुशंषा की जा सकती है। नॉन एससीएस अधिकारी विशेषज्ञता के आधार पर प्रमोट किए जाते हैं। आरएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष महावीर खराड़ी ने कहा कि अध्ययन किया जाएगा, फिर उचित कदम उठाया जाएगा।
इन्होंने दायर की याचिका
आरएएस परिषद, अनिल कुमार अग्रवाल, सुनील शर्मा, राजेन्द्र सिंह, शाहीन अली खान, राकेश शर्मा, सुखवीर सैनी, मनीष गोयल, जगवीर सिंह, महेन्द्र कुमार खींची, केसर लाल मीणा, हरसहाय मीणा, अजय असवाल, बचनेश अग्रवाल, मूलचंद, सुरेश चन्द्र, जसवंत सिंह, मुकेश कुमार शर्मा, गौरव बजाड़, सुनील भाटी, राजनारायण शर्मा, राष्ट्रदीप यादव व राधेश्याम डेलू।
ऐसे बनते हैं आइएएस
आइएएस अधिकारी तीन तरीके से बनते हैं। यूपीएससी के जरिए सीधे चयन 66.5 प्रतिशत, 33.5 प्रतिशत का चयन राज्य सेवा से पदोन्नति से होता है। पदोन्नति वालों में 15 प्रतिशत गैर सिविल सेवा से होते हैं।