भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने ऐतिहासिक महत्व के 163 मॉन्यूमेंट व स्थलों को राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर रखा है। इनमें जयपुर सर्कल में 90 और जोधपुर सर्कल में 73 राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक हैं। इन राष्ट्रीय धरोहर में अधिकतर ऐतिहासिक अनूठे हैं। इनमें भी सबसे अधिक 22-22 राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक भरतपुर व अजमेर जिले में है, वहीं दूसरे नंबर पर टोंक जिला है, जहां 17 राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक हैं। जयपुर जिले में 9 राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक है।
राज्य स्तरीय 342 संरक्षित स्मारक
प्रदेश में पुरात्तव एवं संग्रहालय विभाग के राज्य स्तरीय 342 संरक्षित स्मारक है। सर्वाधिक 66 संरक्षित स्मारक जयपुर जिले में हैं। राजधानी में ही कई ऐतिहासिक संरक्षित स्मारक है जिनमें जंतर- मंतर अल्बर्ट हॉल के अलावा नाहसाद की बावड़ियां, पन्ना नी, घाट की गूणी की छतरिया, आमेर की दीवार के साथ मंदिरों के भित्ति चित्र शामिल हैं।
राज्य में यहां सर्वाधिक धरोहर
राष्ट्रीय स्तरीय
भरतपुर – 22
अजमेर – 22
चितौड़गढ़ – 14
जयपुर – 9
हनुमानगढ़ – 9
झालावाड़ – 7
राज्य स्तरीय
जयपुर – 65
जोधपुर – 34
भरतपुर – 27
बारां – 22
पीएम मोदी बोले, ‘राजस्थान के लोग अद्भुत ऊर्जा से भरे हुए, आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में अहम भूमिका’
गुम होती विरासत.. स्वरूप खोते महल- बावड़ियां, भगवान भरोसे संरक्षित स्मारक
कई शहरों, कस्बों और गांवों में हमारी विरासत गुम होती जा रही है। राष्ट्रीय धरोहर तक की सुध लेने वाला कोई नहीं है। प्रदेश के संरक्षित स्मारकों की सुरक्षा भी भगवान भरोसे ही है, अधिकतर ऐतिहासिक धरोहरों पर सुरक्षाकर्मी तक नहीं है। संरक्षण के अभाव में जर्जर होती धरोहर अपना स्वरूप खो रही है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण जयपुर के 90 संरक्षित स्मारकों की सार-संभाल के लिए जयपुर कोटा,भरतपुर, डीग व भानगढ़ में 5 उपमंडल कार्यालय टूटी बस्ती में बना रखे हैं। जहां वरिष्ठ संरक्षण सहायक नियुक्त कर रखे है वहीं पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के 342 सरक्षित स्मारक में ज्यादातर पर सुरक्षाकर्मी ही नहीं है। इन संरक्षित स्मारकों की सार-संभाल की जिम्मेदारी 7 सर्कल सुपरिंटेंडेंट ही कर रहे हैं, जो कभी-कभी निरीक्षण करने पहुंचते हैं। अधिकतर संरक्षित स्मारकों पर कोई सुरक्षाकर्मी नहीं है।