सीपी जोशी ने विधानसभा में 4 वित्तीय समितियों और 15 अन्य समितियों का गठन साल 2021-22 के लिए किया है। इसमें चौधरी को राजकीय उपक्रम समिति का सभापति बनाया गया है। हेमाराम को सभापति बनाने से उनके इस्तीफे को लेकर विधानसभा अध्यक्ष की मंशा लगभग साफ हो गई है। चौधरी को विधानसभा सचिवालय की तरफ से सूचना भेजी थी कि इस्तीफे के संबंध में वे लॉक डाउन की बाध्यता हटने के सात दिन में विधानसभा अध्यक्ष से मिलें। लॉक डाउन के बाद चौधरी ने जोशी से मिलने की कोशिश भी की, लेकिन उनकी मुलाकात नहीं हुई। अब जोशी भी सोमवार से सात दिन के दौरे पर जयपुर से बाहर रहेंगे। इस दौरान दोनों की मुलाकात संभव नहीं है। ऐसे में चौधरी के इस्तीफे का मामला ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है।
राठौड़ ने लिखा, गलफांस बना इस्तीफा मामले को लेकर उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने सोशल मीडिया पर कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के मुखिया की कार्यप्रणाली के विरुद्ध दुखी मन से चौधरी ने 18 मई को विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा भेजा था लेकिन उनका इस्तीफा सरकार के गले में अभी भी फांस बना हुआ है। सरकार ने विधानसभा में राजकीय उपक्रम समिति का सभापति बनाकर इस गले की फांस को निकालने का असफल प्रयास कर डाला। इन समितियों में स्वयं के विरोधी कांग्रेस खेमे के सदस्यों को अधिक वरीयता देने से कांग्रेस में उभरे असंतोष को आवरण में ढका नहीं जा सकता है। राठौड़ ने कहा कि अब सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न यह है कि अपनी बात पर अडिग रहने वाले चौधरी को राजक्रीय उपक्रम समिति के सभापति के रूप में मनोनीत करने से पूर्व उनकी सहमति ली गई थी ? बिना सहमति के सरकारी मुख्य सचेतक द्वारा विधानसभाध्यक्ष को सभापति के रूप में नाम प्रस्तावित करना कहां तक उचित है ?