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जयपुर

राजस्थान में ‘बीमार’ हो रही मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना, पर्चियों पर लग रहे ‘Not Available’ के ठप्पे!

नहीं मिल रही पूरी दवा, लगा रहे अनुपलब्ध का ठप्पा, कांवटिया अस्पताल में निशुल्क दवा योजना का हाल
 

जयपुरMar 20, 2018 / 10:21 am

Nakul Devarshi

chief minister free medicine scheme
जयपुर।

राजस्थान में मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना खुद ‘बीमार’ हालत में है। सरकार की ओर से शुरू हुई इस योजना के तहत मिलने वाली दवाएं अस्पतालों से गायब हैं लिहाज़ा इसका खामियाज़ा आमजन को उठाना पड़ रहा है। नतीजा ये हो रहा है कि लोगों को बाहर जाकर निजी दुकानों से महंगे दामों पर दवाएं खरीदने पर मजबूर होना पड़ रहा है। योजना की बुरी हालत राजधानी जयपुर के ही सरकारी अस्पतालों में है तो प्रदेश के अन्य अस्पतालों की व्यवस्थाओं और दवाओं की उपलब्धता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।


इसकी बानगी जयपुर के शास्त्री नगर स्थित कांवटिया अस्पताल में देखने को मिल रही है, जहां निशुल्क दवा योजना के तहत पर्ची पर लिखी गई दवाइयों में से करीब आधी पर अनुपलब्धता का ठप्पा लगाया जा रहा है। ऐसे में मरीजों को अस्पताल के बाहर निजी दुकानों से दवा खरीदनी पड़ रही है।
मरीजों का आरोप है कि मिलीभगत से यह गोरखधंधा चल रहा है। अस्पताल में योजना के तहत 821 तरह की सर्जिकल, इंजेक्टेबल, टेबलेट्स, सिरप, क्रीम, इन्हेलर्स, फ्लूड्स, डिस्पोजेबल आइटम्स की आपूर्ति हो रही है। इनमें से मुख्यत: 350 प्रकार की दवाइयां ज्यादा उपयोग में आती है। चिकित्सक अधिकतर पर्चियों में दो दर्जन दवाइयां लिखते हैं, जिनमें से आधी मुख्यमंत्री दवा वितरण केन्द्रों पर नहीं मिलती।
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नहीं मिल रही ये दवाइयां
खांसी, जुकाम, बुखार, जोड़ों में दर्द, एलर्जी, उल्टी, पेट में गैस, शुगर, बीपी, खून पतला करने, हार्ट से संबंधित, आई ड्रॉप आदि दवाइयां करीब हर चिकित्सक लिखता है, लेकिन मुख्यमंत्री निशुुल्क दवा वितरण केन्द्र पर नहीं मिलती।
वर्जन
कई बार डॉक्टर जानबूझकर मरीज को ऐसी दवा लिख देते हैं, जो मुख्यमंत्री निशुल्क दवा वितरण केन्द्र पर नहीं मिलती। ऐसे में पर्ची पर अनुपलब्ध की मुहर लगाई जाती है। सभी चिकित्सकों को निर्देश दे रखें है कि वे उन्हीं दवाइयों को लिखें जो सप्लाई में आ रही हैं।
-डॉ.लीनेश्वर हर्षवर्धन , अधीक्षक, कांवटिया अस्पताल
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… और इधर रक्तदाता को कॉफी देने से इनकार!
रक्तदान के प्रति आकर्षित करने के लिए कई तरह के प्रयास हो रहे हैं, लेकिन जयपुरिया अस्पताल के ब्लड बैंक में रक्तदान के बाद दानदाताओं को कॉफी पिलाने के लिए भी शायद बजट का टोटा हो गया है। ब्लड बैंक कर्मी भी रक्तदाताओं को दो टूक जवाब दे रहे हैं कि यहां व्यवस्था नहीं है। अगर चाय-कॉफी पीनी है तो बाहर जाकर पीओ। ऐसी स्थिति में यहां आने वाले रक्तदाता रक्तदान करने बाद मायूस हो रहे हैं।
चिकित्सकीय सलाह के अनुसार रक्तदान करने के बाद दस मिनट के अंदर रक्तदाता को चाय या काफी पीनी चाहिए। जिससे उसे रक्तदान के तत्काल बाद किसी तरह की शरीरिक कमजोरी महसूस नहीं हो। लेकिन रक्तदान के बाद न तो चाय की व्यवस्था है और न ही काफी की। एसएमएस अस्पताल के ब्लड बैंक में रक्तदान के बाद युवाओं को चाय या काफी के कूपन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

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